हाई कोर्ट को क्यों कहना पड़ा ‘बलि का बकरा’ बनाया गया

जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना की शुरुआत का पूरा ठिकड़ा तबलीगी जमात पर फोड़ा गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने 29 तब्लीगी जमातियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर ये साफ कर दिया है कि उन्हें ‘बलि का बकरा’ बनाया गया।
इन तब्लीगी जमातियों पर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज के एक कार्यक्रम में शामिल होने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। इनपर आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी नागरिक अगिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
ये भी पढ़े: तो क्या फ़्लैश करने से भी फ़ैल सकता है कोरोना
ये भी पढ़े: पत्नी से तंग आकर पति बना…, फिर ये किया
अब कोर्ट ने फटकार लगाते हुए एफआईआर रद्द करने का आदेश दे दिया। कोर्ट का कहना है कि तब्लीगी जमात को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया। मीडिया ने इन लोगों को ही संक्रमण का जिम्मेदार बताने का प्रॉपेगेंडा चलाया।

औरंगाबाद बेंच के न्यायमूर्ति टीवी नलावडे और एमजी सेवलीकर की डिवीजन बेंच ने 21 अगस्त को यह माना उन्होंने 29 नागरिकों जिन्होंने सम्मेलन में भाग लिया था के खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया।
ये भी पढ़े:  ISIS आतंकी अबू यूसुफ के घर से मिले बम और विस्फोटक, गांव सील
ये भी पढ़े:  Corona Update : पिछले 24 घंटे में सामने आये 69 हजार 239 मामले
अपने आदेश में बेंच ने माना कि दिल्ली के मरकज में जो विदेशी आए थे उनके खिलाफ बड़ा दुष्प्रचार किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि एक राजनीतिक सरकार महामारी या विपत्ति की स्थिति में बलि के बकरे ढूंढने की कोशिश करती है और परिस्थितियां दर्शाती हैं कि यहां इस बात की संभावना है कि इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की गई और उसके लिए उन्हें चुना गया।
आदेश में कहा गया है की तथाकथित धार्मिक गतिविधि जो तबलीगी जमात की तरफ से आयोजित थी, के खिलाफ किया गया प्रोपेगेंडा अवांछित था। यह गतिविधियां पिछले 50 साल से जारी हैं और साल भर चलने वाली हैं।
आदेश में कहा गया है कि परिस्थितियां और भारत में कोविड-19 के वर्तमान आंकड़े प्रदर्शित कर रहे हैं कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ यह कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए थी। कोर्ट ने आगे कहा कि यह उचित समय है कि संबंधित लोग विदेशियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए पश्चाताप करें और उनकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने और पुनर्स्थापित करने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाएं।
ये भी पढ़े:  इतने दिनों बाद बाजार में उपलब्ध होगी कोरोना वैक्सीन
ये भी पढ़े:  तो इसलिए CM केजरीवाल व्यापारियों से करेंगे ‘डिजिटल संवाद’
बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि पूरी दुनिया से बहुत सारे मुसलमान मरकज मस्जिद को देखने भारत आते हैं क्योंकि वे तबलीगी जमात के सुधारात्मक आंदोलन की ओर आकर्षित होते हैं। आदेश में कहा गया है कि यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली में ठहरने के प्रबंध भी मुसलमानों द्वारा किए जाते हैं।
इस प्रकार यह आदेश इस बात को सत्यता प्रदान करता है कि निहित स्वार्थी तत्वों और हिंदुत्ववादियों द्वारा मामले का सांप्रदायिकरण किया गया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का जहर, समाज में जानबूझकर खोला गया और जनता का ध्यान सही तथ्यों की ओर से और हकीकत की ओर से हटाया गया।
क्या है मामला
दरअसल दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में मार्च महीने में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम का आयोजन कराया गया था। लॉकडाउन के दौरान मौलाना साद ने विदेश से आए जमातियों और देश के जमातियों को मस्जिद में रखा था, जिसके बाद इनके जरिए देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का आरोप भी लगा था।
ये भी पढ़े:  अब 12 भाषाओं में होगी ‘कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट’
ये भी पढ़े:  फिर पलटा पाकिस्तान, बोला- हमारी जमीन पर नहीं अंडरवर्ल्‍ड डॉन

Back to top button