हाईकोर्ट ने ताज़िया दफ्न करने की इजाजत देने से किया इनकार

प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहर्रम के जुलूस और ताजिये दफ्न करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने एडवोकेट एम.जे.अख्तर, इमरान खान और वेकार मेहंदी जैदी की दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर अपनी मोहर लगाते हुए कहा है कि कोरोना गाइडलाइंस का पालन बहुत ज़रूरी है क्योंकि भीड़ जुटने से लोगों वायरस का ट्रांसमिशन हो सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने कहा कि याचिका दायर करने वालों ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए इसे एक ख़ास कम्युनिटी के खिलाफ कार्रवाई बताया है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जो आदेश दिया है उसमें जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और मोहर्रम दोनों के जुलूसों पर प्रतिबन्ध लगाया है.

कोर्ट ने कहा है कि मोहर्रम पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है लेकिन इस साल कोरोना की वजह से पूरे देश के सामने दिक्कतें हैं. हालात ऐसे नहीं हैं कि मोहर्रम के जुलूसों की इजाजत दी जा सके. हाईकोर्ट ने उस दलील को नहीं माना जिसमें पुरी में जगन्नाथ यात्रा को अनुमति दी गई थी.
कोर्ट ने कहा कि ओडिशा में उत्तर प्रदेश जैसे हालात नहीं हैं. वहां की सरकार ने कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण कर रखा है. उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहाँ कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है. ऐसे हालात में मोहर्रम के जुलूस की इजाजत देकर तमाम लोगों को इस बीमारी के मुंह में नहीं झोंका जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि अगर ताजिया दफ्न करने की इजाजत दे दी गई तो कर्बला में बड़ी संख्या में लोग पहुँच जायेंगे और ऐसे में कोविड-19 के ट्रांसमिशन को रोकना आसान नहीं होगा.
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हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 10 अगस्त और 23 अगस्त को किये गए आदेशों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन आदेशों में हिन्दू और मुसलमानों दोनों के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाईं गई है. इन आदेशों में साफ़ कहा गया है कि न तो कोई पूजा पंडाल सजेगा न मोहर्रम का जुलूस निकलेगा. ऐसे में यह आरोप गलत है कि किसी खास कम्युनिटी को टार्गेट किया गया.
हाईकोर्ट ने कहा है कि ताजियों के जुलूस की परमीशन देने से स्थितियां नियंत्रण के बाहर जा सकती हैं और ऐसा करना सही नहीं होगा. इसी वजह से ईद-उल-अजहा की मस्जिदों में नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई थी.कोर्ट ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि उसमें ताजियों को कर्बला में न ले जाने देना न्यायसंगत फैसला है. उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला कोरोना को रोकने के मकसद से ही किया है. उत्तर प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या देखने के बाद अदालत मोहर्रम के जुलूस या फिर ताजिया दफ्न करने की इजाजत नहीं दे सकती.

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