देश-दुनिया के विभिन्न धर्मों और परंपराओं अपने ईश या फिर कहें आराध्य की भक्ति में जप का अपना एक विशेष स्थान है। सनातन परंपरा में किसी भी देवता विशेष की पूजा के दौरान मंत्र जप का विशेष फल मिलता है। इस मंत्र जाप के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली माला का भी अपना विशेष महत्व होता है। एक ओर जहां प्रत्येक देवता के लिए अलग-अलग माला से जप का विधान है, वहीं दूसरी ओर इन मालाओं को धारण करने का भी अपना महात्मय है। कहने का तात्पर्य शैव, शाक्त एवं वैष्णव आदि परंपरा से जुड़ा साधक अराध्य देवी-देवता के अनुसार ही माला धारण करता है। आइए परम शक्ति की साधना के लिए उपयोग में लाई जाने वाली माला के महत्व के बारे में जानते हैं —
चंदन की माला
देवी-देवताओं के तिलक के लिए विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले चंद की तासीर ठंडी होती है। प्रसाद के रूप में माथे पर लगाया जाने वाला चंदन मन और तन दोनों को शीतलता प्रदान कर दैवीय कृपा दिलाता है। इसी चंदन की माला का वैष्णव परंपरा में साधना के दौरान मंत्र जप में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। जैसे शक्ति की साधना में लाल चंदन की माला से तो वहीं भगवान कृष्ण के मंत्र का जप सफेद चंदन की माला से किया जाता है। इस माला के मंत्र जप से मनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण होती है