सॉफ्टवेयर की खामी से दुर्घटनाग्रस्त हुआ इथोपिया का बोइंग विमान

पांच महीने के दौरान दो बोइंग विमानों की दुर्घटना के पीछे सॉफ्टवेयर को कारण माना जा रहा है। इथोपियाई एयरलाइंस के विमान बोइंग 737 मैक्स 8 विमान में लगाए गए नए सॉफ्टवेयर को एमसीएएस कहा जाता है। यह सॉफ्टवेयर विमान के हवा में उड़ान भरना बंद करने और नीचे गिरने से बचाने के लिए लगाया गया था। यह विमान के नोज को नीचे की ओर कर देता है और उसे गिरने से बचाता है।
विमान का अचानक रुकना खतरनाक होता है। कंप्यूटर की दुनिया में इसे जीआइजीओ कहा जाता है। विमान में अल्फा वेन नामक एक सेंसर लगा होता है, जो एंगल ऑफ अटैक (एओए) को मापता है। यह विमान में एक छोटी सी विंग की तरह दिखता है और यह दो तरफ होता है। एक पायलट की तरफ और दूसरा सह-पायलट की ओर। सेंसर का काम कंप्यूटर को यह बताना है कि विमान किस कोण पर उड़ रहा है।
यदि विमान का एओए बहुत ज्यादा होता है तो इस कारण उसकी गति रुक जाती है। आमतौर पर एओए 15 से 20 डिग्री से नीचे रहता है। यदि सॉफ्टवेयर को यह लगता है कि एओए बहुत अधिक है, तो एमसीएएस विमान के नोज को नीचे की ओर कर देता है। बाली से जकार्ता के बीच उड़ान के दौरान यही गड़बड़ी हुई थी।
बीते साल अक्टूबर में इंडोनेशिया में लॉयन एयर का बोइंग 737 मैक्स 8 विमान भी उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे का शिकार हुआ विमान बाली से रात में पहुंचा था, उसका सेंसर बदला गया था और उसके बाद सुबह उसने उड़ान भरी थी। विमान में किसी को नए एमसीएएस के बारे में पता नहीं था। उसमें क्या गड़बड़ी है इसकी भी जानकारी नहीं थी। रख-रखाव करने वाले कर्मचारी और पायलट भी अनभिज्ञ था।

उन्हें इसका प्रशिक्षण नहीं था इसलिए उन्होंने विमान उड़ाया और एक बार हवा में सेंसर ने कंप्यूटर को बताया कि विमान रुक रहा है। इसके बाद कंप्यूटर ने पायलट के बिना जाने विमान के नोज को नीचे की ओर कर दिया, जबकि उस समय पायलट विमान को ऊपर उठाने का प्रयास कर रहा था। इस संघर्ष में कंप्यूटर विजयी रहा और विमान में सवार सभी लोग मारे गए।
इस हादसे के कुछ हफ्ते बाद बोइंग ने विमान के बारे में एक अपडेट जारी किया और बताया कि विमान के एओए सेंसर में कुछ गड़बड़ी थी। कंप्यूटर को रोकने का एक तरीका यह था कि इसे बंद किया जाना चाहिए था। पायलट को सॉफ्टवेयर के बारे में पता था और इसे झटके के साथ बंद किया जा सकता था। इससे 189 लोगों को बचाया जा सकता था। एक स्विच ही जीवन और मौत के बीच का अंतर था।

Back to top button