सावन सोमवार व्रत रखने से पहले पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

सावन के महीने में सोमवार के व्रत की सर्वाधिक महिमा है क्योंकि यह भगवान शिव का जहां सर्वप्रिय मास है, वहीं सोमवार के दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती के पूजन से उनकी कृपा का पात्र सहज ही बना जा सकता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के सोमवार को व्रत करने का शास्त्रानुसार विधान है। जो कन्याएं अपनी इच्छानुसार पति पाना चाहती हैं अथवा जिनके विवाह आदि में किसी प्रकार की रुकावट आ रही है, उनके लिए तो सावन के सोमवार का व्रत ही कल्पतरु के समान है। शिवपुराण के अनुसार जिस कामना से कोई सावन सोमवार का व्रत करता है, उसकी वह कामना अवश्य एवं अति शीघ्र पूरी हो जाती है। इस मास में भगवान शिव की बेलपत्र से पूजा करना श्रेष्ठ एवं शुभफलदायक है।सावन सोमवार व्रत रखने से पहले पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

संक्रान्ति से संक्रान्ति तक 5 सोमवार
संक्रान्ति से संक्रान्ति तक सोमवार का व्रत करने वालों को 5 और पूर्णिमा से पूर्णिमा तक व्रत करने वालों को 4 दिन व्रत करने होंगे। श्रावण संक्राति 16 जुलाई से शुरु हुई है तथा भाद्रपद सक्रांति 17 अगस्त को होगी। इन दिनों में पडऩे वाले 5 सोमवार होंगे  तथा व्रत 16, 23, 30 जुलाई एवं 6 और 13 अगस्त को होगा। इस प्रकार सावन माास में 5 सोमवार का व्रत होना भी अति उत्तम है।

पूर्णिमा से पूर्णिमा तक 4 सोमवार
आषाढ़ मास की पूर्णिमा 27 जुलाई और श्रावण मास की पूर्णिमा 26 अगस्त को है तथा पहला सोमवार 30 जुलाई को होगा। जिन्होंने पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सोमवार के व्रत करने हैं। वह 30 जुलाई, 6,13 और 20 अगस्त को व्रत कर सकते हैं। 

एकादशी से एकादशी तक भी 5 सोमवार

जो वैष्णव एकादशी से एकादशी तक सोमवार व्रत करना चाहते हैं वह भी 5 दिन ही व्रत करेंगे । आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी 23 जुलाई को है और श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 22 अगस्त को है अर्थात एकादशी से एकादशी तक व्रत करने वाले भक्तजन 23 और 30 जुलाई, 6,13 और 20 अगस्त को सोमवार व्रत का पालन करके पुण्य के भागी बन सकते हैं। 

  
कैसे करें व्रत? 
सोमवार के दिन मंदिर जाकर शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करे।  शाम को मीठे से भोजन करे। अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करे। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। जो लोग सच्चे भाव एवं नियम से भगवान की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन दिनों में सफेद वस्तुओं के दान की अधिक महिमा है।

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