सावन: भगवान शिव के पूजन के दौरान इन मंत्रों के जाप से मिलता है उत्तम फल…
शिव हैं भोले भंडारी
सावन का महीने में देवों के देव महादेव भगवान शिव की पूजा की जाती है, आैर वे ठहरे भोलेनाथ। अत: इस अवधि में उनकी पूजा अर्चना करने से मनुष्य की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। पंडित दीपक पांडे कहते हैं कि वैसे तो शिव जी एक लोटा जल, एक बिल्व पत्र और अक्षत के चंद दाने ही भक्तों का कष्ट हरने के लिए प्रेरित हो जाते हैं। इस पर भी यदि पूजा के बाद उन्हें तीन बार श्रद्धा पूर्वक बम-बम के नाद के साथ याद किया जाता है तो शंकर जी को अपार प्रसन्नता होती है। साथ ही सावन माह में पूजा के साथ 8 मंत्रों का जाप भी करतेरहें तो सोने पर सुहागा हो जाता है।
पूजन के पांच चरण
शिव जी की पूजा के पांच प्रमुख चरण होते हैं, जो इस प्रकार हैं। आवाहन: सबसे पहले स्नान आदि करके शुद्ध मन से शिव प्रतिमा के सम्मुख बैठ कर सरल मन से उनका ध्यान करते हुए आवाहन करना चाहिए।
अर्ध्य: उसके बाद शिव जी के पैर धुला कर उन्हें जल से अभिषेक करते हुए श्रद्धा पूर्वक अर्ध्य दें।
आचमन: फिर घी, दूध, दही, शहद, शक्कर और अंत में पुन: शुद्ध जल के पंचामृत से स्नान करा कर मंत्रों सहित आचमन करायें।
सर्मपण: इसके बाद शिव जी पर वस्त्र, चंदन, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
आरती: सबसे अंत में धूप, दीप और कपूर से शिव जी की आरती करें और भगवान का आर्शिवाद प्राप्त करें।
ये हैं प्रमुख 8 मंत्र
जिन 8 मंत्रों का हम जिक्र कर रहे थे वे इस प्रकार हैं। इन का शुद्घ मन से जाप करने से भगवान शिव सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं आैर सुख, समृद्घि एवम कल्याण का आशिर्वाद देते हैं।
1- ॐ नमः शिवाय।
2- प्रौं ह्रीं ठः।
3- ऊर्ध्व भू फट्।
4- इं क्षं मं औं अं।
5- नमो नीलकण्ठाय।
6- ॐ पार्वतीपतये नमः।
7- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
8- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।