#सावधान: सेहत के लिए हानिकारक है जरूरत से ज्यादा सोचना

जिस तेजी से हम आधुनिक होते जा रहे हैं, उसी तेजी से हमारे भीतर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ बढ़ रही है। लेकिन आगे निकलें कैसे? कम समय में सफलता कैसे पाएं? आदि सोच-सोचकर हम खुद को ही बीमार बना रहे हैं। घर-परिवार, नौकरी या किसी भी मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा सोचना सेहत के लिए नुकसानदेह है। ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वह छोटी से छोटी चीज के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचते हैं। बैठे-बैठे खुद ही गुणा-भाग करते रहते हैं और विश्लेषण भी करते हैं। जरूरत से ज्यादा सोचना और चिंता आपकी समस्या कम तो नहीं करेगी, बीमार जरूर बना देगी। विशेषज्ञों की मानें, तो ज्यादा सोचने-विचारने से हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन की बढ़ोतरी होती रहती है, जो सेहत को प्रभावित करती है।#सावधान: सेहत के लिए हानिकारक है जरूरत से ज्यादा सोचना

ज्यादा सोचने से दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है, क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन दिमाग की कनेक्टिविटी में बदलाव का कारण बन सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थी बर्कले के मुताबिक, ज्यादा सोचना या दिमाग लगाना तनाव, चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बनता है, जिसका असर आपके पाचन तंत्र पर भी पड़ सकता है। इससे पेट में जलन, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, गैस्ट्रिक सीक्रेशन में परिवर्तन, आंतों का सही से काम न करना आदि समस्याएं होती हैं।

ज्यादा सोचना या चिंता करना आपके दिल की सेहत पर भी गंभीर असर डालता है। यह कई तरह की बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देता है। छाती में दर्द, चक्कर आना ऐसी ही कुछ समस्याएं हैं, जो बहुत अधिक सोचने की वजह से होती हैं। डिप्रेशन, नशे की लत और सोने से जुड़ी परेशानियां लगातार चिंता करने की आदत का नतीजा होती हैं और ये समस्याएं लगातार बढ़ती रहती हैं। लगातार चिंता, तनाव और बहुत अधिक सोचने से आपकी त्वचा भी प्रभावित होती है।

चिंता के कारण भावनात्मक तनाव बढ़ सकता है या यह सोरायसिस, एटॉपिक डर्मेटाइटिस, गंभीर खुजली, एलोपेशिया एरियाटा, और सिबोरहिक डर्मेटाइटिस जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। तनाव शरीर में सूजन का भी कारण बनता है, जो त्वचा पर दानों या पिम्पल के रूप में दिखाई देता है। ज्यादा सोचने या चिंता करने से आपका शरीर बीमार होता है। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है। विशेषज्ञों की मानें, तो ज्यादा गंभीर चिंतन करने से शरीर का इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। यह आपके दिमाग की कोशिकाओं को भी कमजोर करता है। इससे नशे की लत लगना और नींद न आना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

डॉक्टर कहते हैं…
वैसे तो सोच-विचार करना सामान्य जिंदगी का ही हिस्सा है, लेकिन यह कुछ बीमारियों का लक्षण भी होता है। ओसीडी डिसऑर्डर होने पर रोगी के मन में कोई न कोई बात आती रहती है। उदाहरण के लिए अगर वह परीक्षा देने जा रहा है, तो वह सोचता रहेगा कि समय पर पहुंचेगा या नहीं। सभी उत्तर दे पाएगा या नहीं आदि। अगर बीमारी नहीं है, तब भी आप हर चीज या काम पर ज्यादा सोच-विचार करते हैं, तो नुकसान होता है। इससे आप काम पर फोकस नहीं कर पाते। समय पर सही फैसले नहीं ले पाते। जीवन में खुशी के पलों का आनंद नहीं ले पाते। इसका असर आपके काम पर भी दिखाई देता है। ज्यादा सोच-विचार करने से दिमाग में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ने लगता है, जो शरीर की ऊर्जा को नष्ट करता है। इससे हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ज्यादा सोचने से पाचन संबंधी समस्या, ब्लड प्रेशर, मेटाबोलिक डिसऑर्डर, दिल संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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