सहकारिता भर्ती घोटाले के दोषी अफसरों को बचाने का आरोप, सीएम योगी से एफआईआर का अनुरोध

लखनऊ। एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने शासन के अफसरों पर सहकारिता विभाग में 01 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 के बीच हुई नियुक्तियीं के संबंध में एसआईटी जांच की संस्तुतियों को दबाने के प्रयास का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे अपने पत्र में नूतन ने कहा कि एसपी एसआईटी ने सुनील कुमार पाण्डेय, संयुक्त सचिव, गृह पुलिस अनुभाग-3 को भेजी अपनी जांच आख्या 06 जनवरी, 2020 में इन भर्तियों में हुई तमाम अनियमितताओं को विस्तार से प्रस्तुत किया था।
जांच आख्या में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह ने तत्कालीन सहकारिता निबंधक शैलेश कृष्ण और अध्यक्ष रामजतन यादव के साथ मिलकर निर्धारित अर्हता को बदलते हुए अनुपयुक्त लोगों का चयन किया। इसके साथ ही नियम विरुद्ध तरीके से परीक्षा कम्प्यूटर एजेंसी नियुक्त कर ओएमआर शीट में हेराफेरी की गयी। इसके अतिरिक्त राजनैतिक व्यक्तियों एवं स्वयं के रिश्तेदारों का नियम विरुद्ध ढंग से चयन किया गया।
एसआईटी ने इन सभी अफसरों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी आईपीसी में मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की। नूतन के अनुसार शासन के अफसरों ने इस पत्रावली को पिछले सात महीने से दबा रखा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक ओएसडी की इसमें खास भूमिका बताई जा रही है और कहा जा रहा है कि एसआईटी जांच की संस्तुति को हल्का कर दोषी अफसरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री को प्रकरण पर व्यक्तिगत ध्यान देते हुए एसआईटी जांच के अनुसार एफआईआर दर्ज कराये जाने का अनुरोध किया है।

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