सरकार द्वारा इस काम को शुरू करते ही सीमा मिश्रा के सूने माथे पर फिर से सज जाएगी बिंदियां-सिंदूर, जानें पूरा मामला…
जिस तरह सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उसी तरह हरदोई की सीमा मिश्रा दूसरों के सुहाग की रक्षा के लिए कठिन तप कर रही हैं। उफनाती रामगंगा अब किसी की मांग सूनी न करे इसलिए पुल बनने तक उन्होंने अपने ही सुहाग चिन्ह त्याग रखे हैं। पक्के पुल के लिए छह साल से संघर्ष कर रही इस सुहागिन ने कई सियासी व प्रशासनिक मंचों पर यह समस्या उठाई। सियासी गलियारों से होते हुए यह गूंज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच चुकी है। बस सरकार जल्दी से पुल बनवा दे तो सीमा के सूने माथे पर फिर से बिंदिया-सिंदूर सज जाए।
हरदोई शहर के मोहल्ला सिनेमारोड स्थित सरस्वती सदन की लाइब्रेरियन सीमा मिश्रा बताती हैं कि 1975 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन नाव पर सवार होकर लोग स्नान करने जा रहे थे। रामगंगा नदी में बीच धारा में नाव पलटने से 80 लोगों की डूबने से मौत हो गई थी। दस साल बाद 1985 में अर्जुनपुर बड़ागांव घाट पर प्लांटून पुल बना, जो काफी जर्जर हो चुका है। बरसात में 4 से 5 महीने तक आवागमन ठप रहता है। 2014 में इस इलाके की अनदेखी कर बेड़ीजोर में पक्का पुल बना दिया गया। इससे आहत होकर उन्होंने तब वट अमावस्या के सुहाग चिह्न सिंदूर, बिंदी, बिछिया, चूड़ी त्याग दीं। इसके बाद से अब तक नहीं सुहाग चिह्न नहीं पहने हैं। पुल बनने तक यूं ही रहेंगी, ऐसा संकल्प ले रखा है।
रामगंगा का उफान ताजे कर देता है जख्म
शहर के मोहल्ला सुभाषनगर निवासी भरत पाण्डेय बताते हैं कि 1975 में हुए हादसे में उनके परिवार के 10 लोग डूबे थे। इसमें उनके चचेरे भाई, चाची, बहनें, मौसी शामिल थीं। वहीं, बड़ागांव निवासी 75 वर्षीय राम आसरे ने अपनी मां गोमती और बहन वेदवती को खोया था। भरत व राम आसरे जैसे कई और भी है जिन्होंने अपनो को खोया। इन सभी लोगों के बारिश में उफनाती रामगंगा आज भी पुराने जख्मों की याद दिलाती है।
मौर्य ने पुल चालू करने की घोषणा की थी
स्थानीय लोगों की सैकड़ों बीघा खेती नदी के दूसरे छोर पर है। नदी पार आवागमन, अनाज लदे वाहनों के आने में परेशानी होती है। बरसात के सीजन में प्लांटून पुल बंद होने से फसल नहीं उगा पाते हैं। बीते लोकसभा चुनाव से पूर्व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने हरपालपुर क्षेत्र में जनसभा की थी। इसमें मंच से पुल बनवाने की घोषणा की। जनवरी 2019 में वर्ष निर्माण चालू कराने की बात कही थी। करीब पौने दो साल बीतने के बाद भी अब तक काम शुरू नहीं हो सका।
कमल श्रीवास्तव, डीपीएम, सेतु निगम कहते हैं कि अर्जुनपुर बड़ागांव घाट पर बनने वाला पुल हरदोई व फर्रुखाबाद जिले की सीमा को जोड़ेगा। करीब 200 गांव के लोग होंगे लाभांवित होंगे। 30 से 40 किमी तक का चक्कर बचेगा। प्रदेश सरकार ने पहले नाबार्ड के तहत पुल निर्माण का प्रस्ताव भेजा था जिसके मंजूर न होने पर राज्य योजना के तहत प्रस्ताव मंगाया। इसी हफ्ते पुन:संशोधित स्टीमेट भेज दिया है। इसमें लंबाई 1300 मीटर व लागत 111 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।
जय प्रकाश, सांसद, भाजपा का कहना है कि अर्जुनपुर बड़ागांव घाट सवायजपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां के विधायक माधवेंद्र प्रताप सिंह के साथ-साथ मैं भी पुल बनवाने के लिए प्रयासरत हूं। मुख्यमंत्री को मांग पत्र सौंपा जा चुकी है। उम्मीद है आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व स्वीकृति मिल जाएगी औऱ काम शुरू हो जाएगा।