9 बच्चों की मौत तय थी, तभी तो एक हादसे में बच गए थे, पर दूसरे में नही बचा सके

मौत का आना तय हो तो चाहे कुछ हो, शिकार तक पहुंचने का रास्ता वह तलाश ही लेती है। तभी तो ब​ठिंडा में मारे गए बच्चे, एक एक्सीडेंट में बच गए थे, लेकिन दूसरे में मारे गए।

 9 बच्चों की मौत तय थी, तभी तो एक हादसे में बच गए थे, पर दूसरे में नही बचा सके

बात अजीब सी है, लेकिन सच है। धुंध के कारण बठिंडा नेशनल हाइवे पर बुधवार सुबह भाईका कंपनी की प्राइवेट बस रामपुरा से बठिंडा आ रही थी कि सामने से आ रही पीआरटीसी की बस के साथ उसकी टक्कर हो गई। हादसे के बाद प्राइवेट बस की सवारियां ड्राइवर उतर गईं। इनमें अधिकांश स्टूडेंट थे। सरकारी बस की सवारियां भी नीचे उतरीं। फिर वे सभी सड़क के किनारे खडे़ होकर दूसरी बस का इंतजार कर रहे थे।

कुछ ही मिनट हुए थे कि दूसरी ओर से आ रहे सीमेंट से लदे टिप्पर ने उन्हें रौंद दिया, क्योंकि ड्राइवर पहले हुए हादसे को देखना चाहता था। इसके चलते उसका बैलेंस बिगड़ गया और सड़क किनारे खड़े लोगों पर टिप्पर चढ़ा दिया। हादसे में 9 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और शव ऐसे कुचले गए कि टुकड़ों में बिखर गए। हादसे के बाद चालक मौके पर टिप्पर छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने टिप्पर चालक के खिलाफ केस दर्ज किया है।

मरने वालों में विनोद मित्तल(18), खुशबीर कौर (20), शिखा बांसल (17), जसप्रीत कौर(18) व नैंसी (19) के अलावा बठिंडा फूड सप्लाई विभाग में तैनात रामपुरा फूल निवासी लवप्रीत कौर के अलावा भुच्चो मंडी के ईश्वर कुमार व गांव लेहरा खाना की मनप्रीत कौर (18)रामपुरा फूल के रहने वाले थे। रफी मोहमद (20) निवासी निवासी दयालपुरा मिर्जा की भी हादसे में मौत हुई। सभी डीएवी और राजिंदरा कॉलेज के विद्यार्थी थे।

9 बच्चों की मौत तय थी, तभी तो एक हादसे में बच गए थे, पर दूसरे में नही बचा सके

सवेरे हादसा हुआ और पोस्टमार्टम के बाद शाम को शव घर पहुंचे। शाम को ही सभी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बच्चों को अंतिम विदाई देने के लिए पूरी रामपुरा मंडी के लोग उमड़ पड़े और नम आंखों से अंतिम विदाई दी। माहौल इतना गमगीन था कि हर आंख रो पड़ी। पूरे गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला, कोहराम मचा था। मरने वालों में कोई डॉक्टर बनना चाहता था, तो कोई विदेश में जाकर नौकरी करना चाहता था। 

 

 

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