शुभ-लाभ आैर सफलता के लिए बुधवार को करने चाहिए ये काम

7 अक्टूबर 2015 को बुधवार है। इस दिन शुभ वि.सं.- 2072, संवत्सर नाम- कीलक, अयन- दक्षिण, शाके- 1937, हिजरी- 1436, मु. ganesh-1441713016मास- जिलहिज-22, ऋतु- शरद्, मास- आश्विन, पक्ष- कृष्ण है। बुधवार को शुभ तिथि- दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि सायं 5.10 तक, तदुपरान्त एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि रहेगी। दशमी तिथि में यदि समयादि शुद्ध हो तो विवाहादि मांगलिक कार्य, वास्तु-गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा, सवारी व अलंकारादिक कार्य शुभ कहे गए हैं। इसी प्रकार एकादशी तिथि में उपरोक्त दशमी तिथि में कथित कार्यों सहित यज्ञोपवीत, चित्रकारी, देवोत्सव, देवप्रतिष्ठा व व्रतोपवास आदि कार्य शुभ होते हैं। दशमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, प्रतिभावान, धर्मकार्यों का ज्ञाता, परोपकारी, कलाकार और सद्व्यवहारी होता है। नक्षत्र- पुष्य नक्षत्र पूर्वाह्न 10.58 तक, तदन्तर अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। पुष्य नक्षत्र में यथा- आवश्यक विवाह को छोड़कर सभी प्रकार के चर-स्थिर कार्य, शान्ति, पुष्टता व अन्य उत्सव सम्बंधी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। अश्लेषा नक्षत्र में शत्रुमर्दन, व्यापार, साहसिक कार्य विशेष रूप से सिद्ध होते हैं। अश्लेषा गण्डान्त मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातकों के संभावित अरिष्ट निवारण के लिए आगे 27 दिन बाद जब अश्लेषा नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो, उस दिन नक्षत्र शान्ति करा लेना जातकों के हित में होगा। वैसे पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक बुद्धिमान, सुशील, होशियार, धर्मपरायण, चतुर, कार्य दक्ष, सुन्दर, मेधावी, सत्यप्रिय, परिवार को चाहने वाला, अध्ययन व अध्यापन में रुचि रखने वाला, प्रशासनिक कार्यों में दक्ष होता है। इनका भाग्योदय कुछ विलम्ब से लगभग 35 वर्ष की आयु तक होता है। योग- सिद्ध नामक योग सायं 5.52 तक, तदन्तर साध्य नामक योग रहेगा। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग हैं। विशिष्ट योग- बुधवार को ज्वालामुखी नामक अत्यन्त अशुभ योग पूर्वाह्न 10.58 से सायं 5.10 तक रहेगा। करण- भद्रा संज्ञक विष्टि नाम करण सायं 5.10 तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे। भद्रा में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं रहते। शारदीय नवरात्र इस बार मंगलवार 13 अक्टूबर 2015 से शुरू हो रहे हैं, जो माता के भक्तों के लिए सुख-समृद्धि लेकर आएंगे। श्राद्ध पक्ष की तिथि क्षय होना एवं नवरात्र की तिथि में वृद्धि होना सुख-समृद्धि का संकेत है।

चंद्रमा- सम्पूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा। ग्रह उदयास्त- रात्रि 12.57 पर बुध पूर्व में उदय होगा। व्रतोत्सव- बुधवार को दशमी का श्राद्ध व गुरु नानकदेव पुण्य दिवस (प्राचीन मत से) है। शुभ मुहूर्त- उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार बुधवार को किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं। वारकृत्य कार्य- बुधवार को सामान्यत: लेखन, प्रकाशन, शिक्षा-दीक्षा, अध्ययन-अध्यापन, साहित्यारम्भ, वेदाध्ययन, कला-कौशल, क्रीड़ा, व्यायाम, बहीखाता, बैंकिंग कार्य, नोटिस देना, प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करना, मैत्री, संधि-राजीनामा व नौकरी में प्रवेश या कार्यारम्भ आदि कार्य करने योग्य हैं।

 

 

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