शादी से पहले ये सब भी सोच लेती है लड़कियां

शादी से पहले ये सब भी सोच लेती है लड़कियां हिंदू धर्म में विवाह सोलह संस्कारों में एक है। सदियों से बेटियों को पराया धन की संज्ञा दी गई है, क्योंकि वह विवाह के बाद अपने पति के घर पर रहती हैं। लेकिन लड़के तो अपने घर पर ही रहते हैं। ऐसे में लड़कियों के मन में ऐसे कई सवाल उठने लाजिमी हैं? यह सवाल अमूमन हर लड़की शादी से पहले सोचती है।

शादी के एक दिन लड़की के मन में ये ख्याल सबसे पहले आता है कि जिंदगी कैसी होगी? इस प्रश्न का यही उत्तर है कि जैसी पहले थी वैसे अभी वह आपकी भूमिका बदल जाएगी। और जिम्मेदारियों को ओर बेहतर तरीके से किया जाना ज्यादा बेहतर होगा।

भारतीय संस्कृति में विवाह पवित्र संस्कार है। जब विवाह होता है तो पति हो या पत्नी दोनों को आपस में सामंजस्य बिठाकर चलना पड़ता है। लड़कियां अक्सर इस बारे में अमूमन सोचती हैं कि क्या वो अपने रिश्ते को बेहतर तरीके से गति दे पाएंगी? लेकिन इस बात को सोचने की वजह यदि भविष्य की योजनाओं को आपस में चर्चा की जाए तो ज्यादा बेहतर है।

शादी के दिन कोई भी लड़की अमूमन यह जरूर सोचती है कि, क्या वाकई मुझे शादी कर लेनी चाहिए? क्या मैं परिवार के साथ सामंजस्य बेहतर कर पाऊंगी? यदि अरेंज मैरिज है तो, क्या मेरा पति मुझे पसंद करेगा? क्या यही ड्रीम बॉय है?

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