विवाद से बचने के लिए भगवत गीता और रामायण की पुस्तकों की खरीद का आदेश रद्द

स्कूलों व कालेजों में श्री भगवत गीता और रामायण की पुस्तकें उपलब्ध कराने के फैसले से वादी में सियासी विवाद पैदा होने से सरकार ने आदेश वापस लिया है।
सरकारी स्कूलों व कालेजों में श्री भगवत गीता और रामायण की पुस्तकें उपलब्ध कराने के फैसले से वादी में सियासी विवाद पैदा होने व हालात बिगड़ने की आशंका काे देखते हुए राज्य सरकार ने मंगलवार को अपना आदेश वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग में अनुसचिव मोहम्मद याकूब ने गत सोमवार को स्कूल शिक्षा निदेशक कश्मीर को एक लिखित पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने गत चार अक्टूबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक के एक सलाहकार की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए फैसलों का जिक्र करते हुए कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, निदेशक कालेज, निदेशक पुस्तकालय व संस्कृति विभाग श्री सर्वानंद प्रेमी द्वारा लिखी गई कौशुर रामायण और श्रीमद भगवत गीता के अनुवाद की पर्याप्त संख्या में प्रतियां खरीदने पर विचार करें ताकि यह पुस्तकें राज्य के सभी स्कूलों,कालेजों और पुस्तकालयों में उपलब्ध कराई जा सकें।
इससे पहले कि संबधित पुस्तकों की खरीद शुरु होती और उन्हें शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध कराया जाता, उससे पहले ही यह मामला तूल पकड़ गया। राज्य के पूर्वमुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार की शाम को ही एक ट्वीट कर पूछा है कि सिर्फ गीता और रामायण ही क्यों? अगर मजहबी किताबें स्कूलों,कालेजों और पुस्तकालयों ( मुझे नहीं लगता कि इन संस्थानों में इनकी कोई जरुरत होगी) में उपलब्ध करानी ही तो फिर चुनिंदा आधार पर ही क्यों? अन्य मजहबों की उपेक्षा क्यों?
नेकां नेता की आपत्ति के बाद घाटी में विभिन्न संगठनों ने इस मामले को कश्मीर में आरएसएस व भाजपा के एजेंडे के साथ जोड़ते हुए लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास भी शुरु कर दिया।
हालात को भांपते हुए राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रहमण्यम ने आज एक आदेश जारी सरकारी स्कूल,कालेजों और पुस्तकालयों के लिए सर्वानंद प्रेमी द्वारा अनुवादित श्रीभगवत गीता और कौशुर रामायण की प्रतियां खरीदने के संदर्भ में स्कूल शिक्षा विभाग में अनुसचिव मोहम्मद याकूब द्वारा जारी सुर्कलर को वापस ले लिया है।

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