विरोधियों के हौसलों पर सत्ता का बुल्डोजर

प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. योगी आदित्यनाथ की सरकार में विरोधियों के ठिकानों पर बुल्डोजर चलाने की होड़ मची है. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की संपत्तियों को माफिया कहकर ढहाया गया. पुलिस और प्रशासन इन संपत्तियों को ढहाने में ऐसे मेहनत कर रहे हैं जैसे कि नियम विरुद्ध कुछ होने ही नहीं देंगे. हालांकि बुक्कल नवाब की इमारतें उसी पुरानी शान से खड़ी होकर हाईकोर्ट को अंगूठा दिखा रही हैं.
इलाहाबाद के पूर्व सांसद अतीक अहमद की साठ करोड़ रुपये मूल्य की सात संपत्तियों को सीज कर दिया गया है. अतीक की 30 में से 13 संपत्तियां ज़ब्त करने के लिए पुलिस की तरफ से प्रशासन को लिख दिया गया है. अतीक की धूमनगंज, झूंसी और कौशाम्बी में संपत्तियां ज़ब्त करने की कार्रवाई चल रही है. अतीक अहमद समाजवादी पार्टी और अपना दल के टिकट पर चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि बनते रहे हैं.

मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी की संपत्तियों पर भी सरकार की नज़र है. लखनऊ के डालीबाग में मुख्तार के बेटों अब्बास और उमर अंसारी के दो-दो मंजिला मकानों को बुल्डोज़र से ढहा दिया गया. इन संपत्तियों को शत्रु सम्पत्ति बताया गया. इन मकानों की रजिस्ट्री करने वाले सरकारी अमले पर भी कार्रवाई की बात कही गई है.
मुख्तार और उसके करीबी लोगों की करीब 70 करोड़ रुपये की संपत्तियां अब तक ज़ब्त की जा चुकी हैं. मुख्तार के करीबी के बूचड़खाने पर मऊ में बुल्डोज़र चला दिया गया. मुख्तार अंसारी बहुजन समाज पार्टी से विधायक हैं.
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मोहम्मद आज़म खां के रिजार्ट पर बुल्डोज़र चलाने की तैयारियां चल रही हैं. आज़म खां द्वारा रामपुर में बनाया गया उर्दू गेट ढहाया जा चुका है. आज़म द्वारा बनाई गई जौहर यूनीवर्सिटी मौजूदा सरकार की आँखों में चुभ ही रही है. आज़म खां अपने परिवार के साथ पिछले कई महीने से जेल में बंद हैं.

दूसरी तरफ लखनऊ में बीजेपी के एमएलसी बुक्कल नवाब की इमारतें गोमती तट पर उसी शान से खड़ी हैं. इन इमारतों को गिराने का आदेश हाईकोर्ट ने तीन साल पहले ही दे दिया था. बुक्कल नवाब समाजवादी पार्टी के एमएलसी थे. उत्तर प्रदेश में जैसे ही बीजेपी की सरकार बनी बुक्कल नवाब ने समाजवादी पार्टी और विधान परिषद से इस्तीफ़ा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया.
बीजेपी ने न सिर्फ उन्हें फिर से विधानपरिषद में भेजा बल्कि उनकी इमारतों की तरफ किसी की देखने की भी हिम्मत नहीं पड़ी. बुक्कल नवाब की इमारतें लगातार हाईकोर्ट को अंगूठा दिखा रही हैं.

पुलिस ने जी तरह से गैंगस्टर विकास दुबे का मकान ढहाया था ठीक उसी तरह मुख्तार के मकान भी ढहाए. विपक्ष को पस्त करने या फिर हाथ जोड़े रखने को मजबूर करने के लिए इस तरह की कार्रवाई की जाती है. विकास दुबे माफिया था. गैंगस्टर था. उस पर पुलिस अधिकारियों के कत्ल का इल्जाम था लेकिन उसका मकान गिराने का आदेश कानपुर विकास प्राधिकरण और कानपुर नगर निगम के अधिकारियों को देना चाहिए था. अगर उस मकान का नक्शा पास था तो उसे गिराया नहीं जा सकता था.
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मुख्तार और अतीक के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बीच बुक्कल नवाब एक रौशनी की किरण बनकर चमक रहे हैं. माफिया भी अगर सरकार के शरणागत रहे और सत्ता पक्ष के साथ-साथ रहे तो उसकी संपत्तियां बच सकती हैं.

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