लॉकडाउन के कारण भारत में वनस्पति तेल की मांग में दर्ज होने वाली है भारी गिरावट….

भारत में वनस्पति तेल की मांग में गिरावट दर्ज होने वाली है। दशकों में पहली बार इसमें गिरावट देखने को मिलेगी। कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के चलते देश भर में रेस्टोरेंट्स बंद हो गए हैं। इसका सीधा असर खाद्य तेल की मांग पर पड़ा, जिसके फलस्वरूप दशकों में पहली बार भारत में खाद्य तेल में गिरावट दर्ज होने वाली है। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह बुधवार से ही 21 दिन के लिए देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया था। यह लॉकडाउन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया गया है। इस महामारी को रोकने के लिए इसके संक्रमण की चेन का तोड़ना जरूरी होता है।

कूकिंग मीडियम के विश्व के सबसे बड़े आयातक भारत में खाद्य तेल की खपत जनसंख्या में वृद्धि, आय के बढ़ने और जगह-जगह रेस्टोरेंट्स खुलने से बाहर के खाने में बेतहाशा वृद्धि के चलते पिछले दो दशकों से अधिक समय में तिगुनी हो गई है। अधिकांश ट्रेड और इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारी इस समय इस बात पर सहमत हैं कि भारत की वनस्पति तेल की मांग, मूल रूप से पाम ऑयल और सोया ऑयल की मांग पिछले साल के 23 मिलियन टन के मुकाबले गिर जाएगी।

कुछ डीलर्स का कहना है कि लॉकडाउन के कारण देश की खपत कम से कम एक तिमाही तक गिर सकती है। एक प्रमुख वेजिटेबल ऑयल आयातक सनविन ग्रुप के चीफ एग्जिक्यूटिव संदीप बजोरिया ने कहा, ‘हमारा आंतरिक अनुमान बताता है कि 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान खाद्य तेल की मांग 475,000 टन गिर जाएगी।’

ज्यादा तला हुआ और उच्च कैलोरी वाले फूड को पसंद करने वाले भारतीयों की खपत एक महीने में 19 लाख टन खाद्य तेल की है। इसमें रेस्टोरेंट्स भी शामिल हैं, जो मुख्य रूप से पाम ऑयल का प्रयोग करते हैं। देश के कुल वेजिटेबल तेल आयात में दो-तिहाई हिस्सा पाम ऑयल का आता है। भारत अपनी वेजिटेबल तेल जरूरत का करीब दो-तिहाई आयात करता है। बजोरिया के मुताबिक, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे पाम ऑयल उत्पादक देश भारत की मांग के अनुसार अपने आउटपुट को कम कर सकते हैं।

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