रोज़-ए-आशूर कर्बला में लुट गया था इमाम हुसैन का कारवां

labbaik-ya-husain-300x300खनऊ, 23 अक्टूबर. कल रोज़-ए-आशूर है. 14 सौ साल पहले आशूर के दिन ही कर्बला के मैदान में हक, इन्साफ और इंसानियत को बचाने के लिए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्स्सलाम ने अपने 71 साथियों के साथ अपनी कुर्बानी पेश की थी.

कर्बला के शहीदों के गम में पूरी दुनिया डूबी हुई है. लखनऊ का मोहर्रम दुनिया के अच्छे मोहर्रमों में से गिना जाता है. आठवीं मोहर्रम को दरिया वाली मस्जिद से निकलकर इमामबाड़ा गुफरान्माब गए आलम फातेह फुरात के जुलूस में शामिल हज़ारों लोगों ने हज़रत अब्बास की याद में मातम किया और या सकीना या अब्बास की सदायें बुलंद कीं.

आज नवी मोहर्रम को सुबह से ही मातम मजलिस का सिलसिला शुरू हो गया. रात को अलविदाई मजलिस के बाद अलविदाई अलम का जुलूस शुरू हुआ. यह जुलूस दरगाह हज़रत अब्बास जायेगा. जुलूस में शामिल अन्जुमनों के मातमदार कमा व ज़ंजीर का ज़ोरदार मातम कर रहे हैं.

पुराना लखनऊ या हुसैन की सदाओं से गूँज रहा है. सड़कों पर इतनी भीड़ है कि पैर रखने की भी जगह नहीं है. प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये हैं. संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन से निगरानी की जा रही है.

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