रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए एक की जगह अब ढाई लाख रुपये देगा केजीएमयू

टीबी के खात्‍मे के लिए शोध को हरसंभव मदद देने का कुलपति का आश्‍वासन
टीबी से संबंधित थीसिस करने वाले पीजी छात्र को मिलेंगे 30 हजार

लखनऊ। टीबी के खात्‍मे के लिए शोध को किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍व विद्यालय केजीएमयू से हर संभव सहायता की जायेगी। केजीएमयू में शोध को बढ़ावा देने के लिए इंट्रा म्यूरल रिसर्च फंड को प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए एक लाख के स्थान पर इसको बढ़ाकर 2.5 लाख प्रति प्रोजेक्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केजीएमयू में टीबी से संबंधित शोध कार्य में जो भी आवश्यकता होगी वह पूरी की जाएगी।
 
यह बात कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने उत्तर प्रदेश क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंर्तगत दो दिवसीय ऑपरेशनल रिसर्च की कार्यशाला में आज कही। उन्‍होंने बताया कि इसके अतिरिक्त उच्च स्तरीय शोध जैसे कि  Systemic review तथा meta anaylisis ds  के लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है। कुलपति ने कहा कि इस उद्घाटन कार्यक्रम में राष्ट्रीय चेयरमेन, वाइस चेयरमेन, नार्थ जोन के जोनल चेयरमेन, उत्तर प्रदेश के स्टेट टीबी आफिसर, उत्तर प्रदेश के ऑपरेशनल रिसर्च के चेयरमेन, पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च जैसे बड़े संस्थानों के वैज्ञानिक इस दो दिवसीय कार्यशाला में शामिल हो रहे हैं, ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में अब टीबी की खैर नहीं।
 
उत्तर प्रदेश क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के अंर्तगत आज 14 मार्च को दो दिवसीय ऑपरेशनल रिसर्च की कार्यशाला का आयोजन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में प्रारम्भ हुआ।
इस कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में पीजीआई चंडीगढ़ के डॉ दिगम्बर बहरा जो कि भारत में राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में राष्ट्रीय टास्क फोर्स के चेयरमेन हैं, ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा टीबी मुक्त भारत 2025 तक बनाने के संकल्प के लिए देश के 500 से अधिक मेडिकल कॉलेज, 10 लाख से ज्यादा चिकित्सक तथा 70 हजार के करीब पीजी छात्र, जूनियर डॉक्टर पूरी तरह से समर्पित भाव से कार्य करने को तैयार हैं।
 
डॉ बहरा ने बताया कि ऑपरेशनल रिसर्च के माध्यम से टीबी की रोकथाम के लिए इसकी जांच, उपचार एवं बचाव के लिए नए-नए अनुसंधानों की आवश्यकता है। डॉ बहरा ने उत्तर प्रदेश के 38 मेडिकल कॉलेजों के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में टीबी से संबंधित शोध कार्य अवश्य करना चाहिए।
 
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हिमाचल प्रदेश से आए नार्थ जोन टास्क फोर्स के चेयरमेन डॉ एके भारद्वाज ने बताया कि वैसे तो टीबी से संबंधित शोध के लिए नेशनल हेल्थ मिशन, भारत सरकार के द्वारा बजट मिलता है लेकिन हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा प्रथम राज्य है, जिसने अपने राज्य के स्तर पर ही टीबी के शोध को बढ़ावा देने के लिए बजट का प्रावधान किया है।

नार्थ जोन, ऑपरेशनल रिसर्च के चेयरमेन तथा उत्तर प्रदेश क्षय नियंत्रण टास्क फोर्स के चेयरमेन डॉ सूर्यकांत ने बताया कि प्रदेश में टीबी के शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक मेडिकल कॉलेज से टीबी से संबंधित थीसिस करने वाले पीजी छात्र को 30 हजार रुपए का बजट प्रदान किया जाएगा। डॉ सूर्यकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों के द्वारा टीबी से संबंधित रिसर्च प्रोजेक्ट को भी अनुदान प्रदान किया जाएगा।
 
डॉ सूर्यकांत ने बताया कि राज्य स्तर पर दो लाख रूपए तक का बजट तथा जोन के स्तर पर पांच लाख रूपए तक का बजट टीबी के प्रत्येक रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए अनुदान के रूप में दिया जाएगा। पांच लाख रूपए से अधिक बजट वाले रिसर्च प्रोजेक्ट को क्षय नियंत्रण की नेशनल टास्क फोर्स को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
इस अवसर पर ऑपरेशन रिसर्च, उत्तर प्रदेश के चेयरमेन डॉ सुधीर चैधरी ने प्रदेश के समस्त 43 मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों एवं पीजी छात्रों से आवाह्न किया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए टीबी के क्षेत्र में शोध कैसे करें, यह सीख कर अपने शोध प्रस्ताव भेजें।
इस अवसर पर स्टेट टी0बी0 आफिसर डॉ संतोष गुप्ता ने प्रदेश में टीबी के शोध के लिए अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर एरा मेडिकल कॉलेज के डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डा फरीदी, केजीएमयू की डा अमिता जैन, डा अजय वर्मा, डा डीके बजाज, एसजीपीजीआई से डॉ रिचा मिश्रा, लोहिया संस्थान से डॉ मनीष सिंह, आईसीएमआर के वैज्ञानिक डा अवि बंसल, स्टेट टीबी डेमोंसट्रेशन सेंटर आगरा के निदेशक डा शैलेन्द्र भटनागर, एम्स दिल्ली से डा आरएम पाण्डेय, डॉ अजीत सहाय, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट उपस्थित रहे।

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