राप्ती का कटान जारी, ढोढरी गांव के अस्तित्व को खतरा, मुख्य मार्ग नदी में समाया
बलरामपुर। राप्ती का कटान जारी है। सदर तहसील के ढोढरी गांव के अस्तित्व का खतरा पड़ा हो गया है। राप्ती नदी की धारा गांव के नजदीक पहुँच चुकी है। सैकड़ो एकड़ कृषि भूमि को नदी ने निगल लिया है। ग्रामीणों, की शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। ढोढरी गांव के लोगो का कहना है कि यदि कटान नही रुकी तो उनके गांव नदी में समा जायेगा।
जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण आज ढोढरी गांव के लोगो की रातों की नींद उड़ गई है। राप्ती नदी की भयावह स्थिति देख ग्रामीणों को इस बात की चिंता सत्ता रही है कि कहीं नदी की कटान में उनका गाँव जल समाधि न ले ले। ग्रामीणों का कहना है राप्ती एक महीने के भीतर एक किलोमीटर कटान करते हुए गांव के समीप पहुँच गई है। सैकड़ो एकड़ कृषि भूमि को नदी ने निगल लिया है। नदी किनारे बसे ग्राम ढोढरी और जमालीजोत को जोड़ने वाला नदी की कटान से नदी में समा चुका है।
ग्रामीण मुस्तफा ने बताया कि वर्ष 2017 से ही अधिकारियों को नदी की स्थिति से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन सब लापरवाह बने रहे। इस वर्ष अधिकारियों से आश्वाशन मिला था कि बरसात आने से पूर्व प्रभावी कार्य किये जायेंगे। लेकिन कटान रोकने का काम तब शुरू हुआ जब राप्ती नदी ने अपना विक्राल रूप ले लिया। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के समय मे बोरियो में मिट्टी भर के डालने से कटान नही रुकेगी। यह सरकारी धन का दुरुपयोग है।
ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी कर्मियों द्वारा जबरन उनकी फसल और पेड़ काट कर कटान रोकने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। वही जिम्मेदार अधिकारी अपने कामो का बखान कर रहे है। उप जिलाधिकारी सदर नागेंद्र नाथ यादव नेे बताया कि वह स्वयं निरीक्षण कर रहे है। फ्लड फाइटिंग का कार्य किया जा रहा है। प्रभावित लोगों को शासन के निर्देशानुसार सहायता अवश्य उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि आपात स्थिति के लिए जिले में 30 बाढ़ चौकी तथा 31 राहत केन्द्रों की स्थापना की गई है। आवश्यकता पड़ने पर यह सक्रिय हो जाएंगे।
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