राज्यकर्मियों के भत्तों पर चली योगी सरकार की कैंची

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने लाकडाउन के 50वें दिन राज्य कर्मियों को मिलने वाले नगर प्रतिकर भत्ता, सिर्फ सचिवालय कर्मियों को मिलने वाले सचिवालय भत्ता सहित छह भत्तों को समाप्त कर दिया है। भत्तों को समाप्त करने से संबंधित शासनादेश अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने मंगलवार को जारी किया। इन भत्तों को समाप्त किए जाने से राज्य सरकार को सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। अकेले नगर प्रतिकर भत्ता के भुगतान पर ही 470 करोड़ रुपये सालाना खर्च होता रहा है। केंद्र सरकार भी नहीं देती है इन भत्तों कोकोविड-19 महामारी के कारण राज्य के राजस्व में भारी कमी आई है। इस महामारी को कम करने के लिए वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समाप्त किए गए भत्ते और जो भत्ते केंद्र सरकार में नहीं हैं, को राज्य में भी समाप्त किए जाने पर विचार किया गया। जिसके क्रम में नगर प्रतिकर भत्ता, सचिवालय भत्ता, भविष्य निधि रखरखाव के लिए प्रोत्साहन भत्ता, अवर अभियंताओं को मिलने वाला भत्ता, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी तथा अन्य अभियंत्रण विभागों में अधिकारियों व कर्मचारियों के मिलने वाले रिसर्च, अर्दली तथा डिजाइन भत्ता को समाप्त किया जाता है। एक अप्रैल 2020 से ये भत्ते देय नहीं होंगे। केंद्र सरकार ने सीसीए को समाप्त कर दिया हैशासनादेश में लिखा है कि परीक्षण में यह पाया गया कि केंद्र सरकार द्वारा नगर प्रतिकर भत्ता (सीसीए) को समाप्त किया जा चुका है। केंद्रीय कर्मचारियों के समान ही सम्मानजनक वेतन राज्य कर्मचारियों को दिए जाने की नीति को ध्यान में रखते हुए सीसीए को समाप्त किया जा रहा है।

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