राजस्‍थान : अज्ञात बीमारी से सात में से छह बेटों की मौत, पति भी कैंसर से चल बसा

झुंझुनू। वैसे तो सरकार हर पीड़ित की सहायता करने का दंभ भरती है। बड़े बड़े दावों के साथ आंकड़ें पेश कर दिए जाते है और दावा यह भी किया जाता है कि कोरोना जैसी लाइलाज बीमारी का भी इलाज है। लेकिन गरीब की ओर कोई नहीं देखता। एक अज्ञात बीमारी से एक पूरा का पूरा परिवार उजड़ गया। छह बेटों और पति की मौत हो गई। लेकिन आज तक ना तो बीमारी का पता चला और ना ही ऐसी कोई योजना का लाभ इन्हें मिला है। जो इनके आंसू पोंछ दे।

झुंझुनू जिले के सिरियासर कलां के फूलाराम मीणा के सात- सात बेटे हुआ करते थे। लेकिन फूलाराम के परिवार को अज्ञात बीमारी ने ऐसा जकड़ा कि पाल पोसकर ज्यों ही बेटे बड़े होते है। वे दिव्यांग हो जाते और कुछ समय बाद दुनियां छोड़ देते। अब परिवार में केवल फूलाराम की पत्नी भगवती और एक बेटा मंगलचंद बचा है। लेकिन मंगलचंद को भी यह अज्ञात बीमारी कब अपने आगोश में लेकर मौत की नींद सुला देगी। किसी को नहीं पता।
फूलाराम मीणा के पड़ौसी जगदीश प्रसाद बताते है कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने इस खौफनाक सच को देखा है। करीब 10 साल के होते ही फूलाराम के बेटे अचानक चलना फिरना बंद कर देते थे और फिर उनकी मौत हो जाती। बीमारी के बारे में पता भी लगाने की कोशिश की। लेकिन बड़े अस्पताल तक पहुंचे। ऐसी परिवार की स्थिति नहीं और स्थानीय अस्पतालों में इसका कोई इलाज नहीं मिला। परिवार की हालत देखकर ग्रामीण और पड़ौसी भी मदद करते है।
फूलाराम मीणा की पत्नी, बेटा और रिश्तेदार हर किसी के सामने हाथ जोड़कर बस यही कहते है कि अब उनका एक बेटा बचा है। वो बच जाए तो परिवार बच जाए। पत्नी ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि उनके बेटों की कैसे मौत हो गई। लेकिन यह सच है उनके से राम भी रूठा है और राज भी। घर में कोई कमाने वाला नहीं, अज्ञात बीमारी ने घेर रखा है। लेकिन सरकार केवल योजना के नाम पर उन्हें गेंहू देती है। परिवार खत्म होने के बाद यह योजना भी खत्म हो जाएगी। क्योंकि एक वक्त जहां परिवार में इस योजना का लाभ लेने वाले 9 जनें थे। वहीं अब दो बचे है। जो भी अज्ञात बीमारी के खौफ में जी रहे है।
जब एक ही परिवार के छह- छह बेटों की मौत हो गई तो सरकार यह भी नहीं सोच रही कि यह बीमारी आखिर है तो क्या है। जबकि परिवार ने तंत्र मंत्र से लेकर अस्पतालों के चक्कर लगा लिए। पर समस्या समाधान नहीं हुआ। ना ही परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना, ना ही इंदिरा आवास योजना और ना ही शौचालय योजना का लाभ मिला है। यहां तक की इतना सबकुछ होने और परिवार की स्थिति खराब होने के बाद भी परिवार अभी तक बीपीएल में भी शामिल नहीं है। जो सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाता है।
ग्राम विकास अधिकारी सिरियासर कलां सादिया झाझड़िया ने बताया कि परिवार खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित है। लेकिन आने वाले दिनों में जब भी बीपीएल की सूची बनेगी तो उन्हें शामिल किया जाएगा। साथ ही आवास योजना का भी लाभ दिया जाएगा। ग्राम विकास अधिकारी ने यह भी बताया कि जल्द ही वे पटवारी को भेजकर स्थिति का पता लगवाएंगी और उचित लाभ दिलाने की कोशिश करेंगी।
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