राजग साथियों में विश्वास बहाली में जुटे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, बिहार पर भी हुई गहन चर्चा

नई दिल्ली । विपक्षी गठबंधन की गहमागहमी के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राजग घटकदलों के साथ सामंजस्य की कवायद शुरू कर दी है। रविवार को उन्होंने लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और उनके सांसद पुत्र चिराग पासवान के साथ लगभग एक घंटे की बैठक की और हर मुद्दे पर मशविरा किया। इसमें एससी-एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाने से लेकर बिहार के लिए विशेष वित्तीय पैकेज जैसे मुद्दे शामिल थे।राजग साथियों में विश्वास बहाली में जुटे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, बिहार पर भी हुई गहन चर्चा

गौरतलब है कि उपचुनाव नतीजे के बाद से राजग के घटक दलों की ओर से भाजपा को परोक्ष संकेत दिया जा रहा था कि उनसे पूरा संवाद नहीं हो रहा है। रालोसपा नेता व केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ज्यादा मुखर रहे हैं। वहीं लोजपा की ओर से यह जताने में गुरेज नहीं किया गया कि आपसी संवाद जरूरी है। विपक्ष से मुकाबला करना है तो सत्तापक्ष को भी मजबूती के साथ एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ना होगा। सहयोगियों की ओर से आए इन सुझावों को भाजपा ने भी गंभीरता से लिया है। पार्टी चाहती है कि विपक्षी एकता के प्रयासों के बीच वह भी राजग के ढांचे को और मजबूत करे।

बताते हैं कि रविवार को शाह ने सबसे पहले पासवान को आमंत्रित किया जो राजग खेमे में सबसे बड़े दलित नेता भी हैं और नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे मुखर समर्थक घटक दल भी। सूत्रों के अनुसार रामविलास पासवान और चिराग ने आशंका जताई कि एससी-एसटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही देर से सरकार के खिलाफ गलत छवि बनाने का मौका मिलेगा। ऐसे में पहल करते हुए अध्यादेश लाना चाहिए। उनकी ओर से प्रमोशन में आरक्षण जैसे मुद्दे को सामने लाकर बढ़त बनाने का भी सुझाव दिया गया।

उत्तर प्रदेश के बाद बिहार सबसे अहम राज्य है। लिहाजा बिहार पर चर्चा हुई। एक तरफ जहां जदयू वित्त आयोग से विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी प्रावधान पर रोक में पुनर्विचार का आग्रह कर रहा है वहीं पासवान का कहना है कि गरीब राज्य होने के कारण बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा होना चाहिए, लेकिन कम से कम विशेष वित्तीय पैकेज तो जरूर दिया जाना चाहिए। अमित शाह ने सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार का आश्वासन दिया है।

जदयू चाहता है बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व का अधिक लाभ उठाए राजग

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आगामी चुनावों और विशेष दर्जा जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श किया। बैठक में पार्टी के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मौजूद थे।

बैठक के बाद त्यागी ने कहा कि जदयू चाहता है कि अगला लोकसभा चुनाव बिहार में राजग नीतीश के नेतृत्व में लड़े। नीतीश के चेहरे का राजग अधिक से अधिक लाभ उठाए। दिल्ली में जिस प्रकार भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है, बिहार में जदयू बड़ा भाई है। त्यागी ने कहा कि करीब चार घंटे तक 1, अणे मार्ग में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हम लोगों से विचार विमर्श किया। उन्होंने कई सुझाव भी दिए। त्यागी के मुताबिक राजग में बवाल का कृत्रिम माहौल बनाया जा रहा है। ऐसी कोई बात नहीं है। बिहार में राजग एकजुट है। हम चाहते हैं कि बिहार में राजग नीतीश कुमार के नेतृत्व का अधिक से अधिक लाभ उठाए। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चुनाव से पहले सीटों के तालमेल को लेकर कोई अड़चन नहीं आएगी।

तालमेल में जदयू को सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलेंगी। हालांकि सीटों को लेकर बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई है। तेज होगी विशेष दर्जे की मुहिम केसी त्यागी ने बताया कि बिहार को विशेष दर्जे पर अभियान तेज करने का फैसला लिया गया है। इसके लिए पार्टी रणनीति बनाएगी। रणनीति बनाने के लिए नीतीश कुमार ने मुझे, पवन वर्मा और राष्ट्रीय महासचिव हरिवंश नारायण सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है।

तीन राज्यों में चुनाव लड़ेगी पार्टी

यह भी फैसला हुआ कि जदयू इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगा। पार्टी चुनिंदा सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेगी। त्यागी ने कहा कि हम किसी को हराने या जिताने के लिए नहीं, बल्कि अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उम्मीदवार उतारेंगे। 

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