रत्न पहनते समय जरूर रखें इन बातों का ख़ास ख्याल

ज्योतिष में कुंडली का विशेष स्थान होता है। व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन करके ही जन्मपत्री में कमजोर और बलवान ग्रह की पहचान की जाती है। फिर अशुभ ग्रहों को शुभ बनाने और शुभ ग्रहों को और ज्यादा अपनी ओर प्रभावी बनाने के लिए  कई उपाय किए जाते है जैसे कि मंत्र का जाप, दान पुण्य और अलग-अलग रत्न धारण आदि। इसमें रत्न धारण एक असरदार उपाय माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न पहनने से कई समस्याओं का हल निकल आता है। रत्न धारण करने से पहले कुछ सावधानियां रखनी चाहिए।रत्न पहनते समय जरूर रखें इन बातों का ख़ास ख्याल

कुल मिलाकर नौ रत्न पहने जाते है और अलग-अलग ग्रहों की शान्ति के लिए अलग रत्न पहने जाते है जैसे- 
सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक
चन्द्रमा को अपने पक्ष में करने के लिए मोती
मंगल को मजबूत करने के लिए मूंगा
बुध के लिए पन्ना उपयुक्त होता है
पुखराज गुरु को मजबूत करने के लिए पहना जाता है।
शुक्र और शनि के लिए हीरा और नीलम पहना जाता है।
राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया।

 क्या बरतें सावधानियां 
– रत्न पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष की सलाह लेनी चाहिए जन्म पत्री में ग्रहों को स्थिति की जांच जरूर करवाना चाहिए। कभी भी ग्रह के विरोधी रत्न को नहीं पहनना चाहिए।
-कौन सा रत्न कब पहना जाए इसके लिए कुंडली का अध्ययन जरूर करना चाहिए। लग्न कुंडली,  दशा-महादशाएँ आदि सभी का अध्ययन करने के बाद ही रत्न पहनें। 
-रत्न धारण करने से पहले इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि अलग-अलग रत्नों को पहनने के लिए कौन सा दिन सबसे उपयुक्त रहता है।

        माणिक्य- रविवार
        मोती- सोमवार
        पीला पुखराज-गुरुवार
        सफ़ेद पुखराज- शुक्रवार
        लाल मूंगा- मंगलवार
        पन्ना- बुधवार
        नीलम-शनिवार
        गोमेद-शनिवार
        लहसुनिया- शनिवार

– जिस अंगूठी में आप रत्न पहनते है उसका नीचे का हिस्सा खुला होना चाहिए ताकि उंगली पर सही ढंग से छू सके और ग्रह की पूरी ऊर्जा मिल सके।

 – रत्न धारण करने से पहले शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा करवा लेनी चाहिए इससे रत्न की सकारात्मक प्रभाव देने की क्षमता बढ़ जाती है।

– अंगुठी को पहनने से पहले 24 से 48 घंटे पहले किसी पात्र में गंगाजल अथवा कच्चे दूध में डूबो कर रखना चाहिए। पात्र को पूजा स्थल पर रखना उपयुक्त रहता है।

– सूर्योदय से पहले का समय रत्न धारण करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। बीज मंत्र और मंत्रोचार के बाद अंगूठी को उंगली में पहनना चाहिए।

-माणिक्य के साथ नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। पुखराज के साथ हीरा, नीलम, गोमेद वर्जित है। मोती के साथ हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है।

-मूंगा के साथ पन्ना, हीरा, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। पन्ना के साथ मूंगा, मोती वर्जित है। हीरे के साथ माणिक्य, मोती, मूंगा, पुखराज वर्जित है।

-लहसुनिया के साथ माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती वर्जित है। गोमेद के साथ माणिक्य, मूंगा, पुखराज वर्जित है। नीलम के साथ माणिक्य, मोती, पुखराज वर्जित है।

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