योगी सरकार यूपी में माफ‍िया को खत्‍म करने के ल‍िए अब दोहरा वार कर रही..

राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहे अब्दुल कवि की जांच कर रही सीबीआइ लखनऊ की टीम गुरुवार को मंझनपुर आई। साथ ही तहसीलदार से ढाई घंटे की मुलाकात में अब्दुल कवि की संपत्ति का ब्योरा प्राप्त किया। हालांकि दिए गए दस्तावेजों में अब्दुल कवि की कोई भी संपत्ति सामने नहीं आई है।

सरायअकिल के भखंदा उपरहार निवासी अब्दुल कवि लगभग 18 साल से फरार चल रहा है। अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर रखा है। दरअसल वह प्रयागराज शहर पश्चिमी के पूर्व विधायक राजूपाल की हत्या में शूटर था। इस मामले की जांच सीबीआइ लखनऊ कर रही है।

करीब एक माह पहले सीबीआइ टीम उसके गांव भखंदा पहुंची थी। साथ ही कुर्की की नोटिस चस्पा करते हुए संपत्ति जब्त किए जाने की चेतावनी दी थी। वहीं राजूपाल हत्याकांड में मुख्य गवाह रहे उमेश पाल पर बीते दिनों गोलियों की वर्षा कर मौत के घाट उतार दिया गया।

एक्शन में आई कौशांबी पुलिस ने भी तीन मार्च को अब्दुल कवि के घर पहुंचकर उसका घर ढहाते हुए अवैध शस्त्र बरामद किए। यह मामला ठंडा नहीं हो पाया था कि गुरुवार को सीबीआइ के दो सदस्य गुरुवार को मंझनपुर तहसीलदार भूपाल सिंह से मिले। अब्दुल कवि कि कितनी संपत्ति है और कहां-कहां है। इस बारे में टीम के सदस्यों ने तहसीलदार से जानकारी इकट्ठा की।

इस बीच सीबीआइ को पता चला कि अब्दुल कवि के नाम कोई संपत्ति नहीं है। जो भी संपत्ति है, उसके पिता अब्दुल गनी के नाम दर्ज है। इससे संबंधित पांच खतौनी तहसीलदार ने टीम को उपलब्ध कराई। यही नहीं, ढहाया गया घर भी पिता के ही नाम दर्ज है। इसका भी अब तक कोई बंटवारा नहीं हुआ है।

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