योगी सरकार को नहीं मालूम यूपी में कितने भूमिहीन मजदूर : लल्लू

लखनऊ : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भूमिहीन मजदूरों के मुद्दे पर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। विधान सभा में अजय कुमार लल्लू ने भूमिहीन किसानों का आंकड़ा मांगा था। इस पर सरकार कोई नया आंकड़ा नहीं दे सकी। इस पर शुक्रवार को विधानसभा से बाहर आने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा योगी सरकार के लिए शर्म का विषय है। इसके साथ ही यह भी पता चलता है कि भाजपा की पूर्ववर्ती समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकारों ने भी इस पर कुछ नहीं किया। मतलब साफ है कि न बसपा, न सपा, न भाजपा किसी को मजदूरों की परवाह नहीं है। सब अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं।
विधानसभा के दूसरे सत्र में लल्लू ने भूमिहीन मजदूरों की जिलावार संख्या और उनको समाजिक सुरक्षा देने के मुद्दे पर, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से सवाल पूछा था। लेकिन, योगी सरकार की ओर से जो जवाब मिला, उस पर अजय लल्लू ने हैरानी जताई है। जिलावार संख्या वाले प्रश्न के जवाब में योगी सरकार ने कहा कि चूंकि विशिष्ट भूमि सर्वेक्षण नहीं हुआ है। इसलिए मजदूरों की निश्चित संख्या नहीं बताई जा सकती। फिर, पुराने आंकड़ों का हवाला देते हुए भाजपा सरकार ने कहा कि भूमिहीन मजदूरों की आबादी प्रतिशत के लिहाज से 44.45 प्रतिशत है। इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश की कुल आबादी लगभग आधा हिस्सा बिना जमीन के है।
इस पर अजय कुमार लल्लू ने कहा कि वह स्वयं एक मजदूर रह चुके हैं इसलिए मजदूरों की व्यथा को अच्छे से समझते हैं। उन्होंने भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मोदी सरकार को निर्देश दिया था कि मॉड्यूल तैयार करके राज्य सरकारों को दिया जाए, जिससे मजदूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन किया जा सके। अजय कुमार लल्लू के पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने लिखित में कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने जून 2020 तक मॉड्यूल उपलब्ध ही नहीं कराया, तो पंजीयन का काम कैसे हो। भाजपा सरकारों के काम करने के रवैये पर तीखी नराजगी जताते हुए अजय लल्लू ने कहा कि चाहे योगी हों या मोदी-भाजपा की सरकारें मजदूर विरोधी है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ऐसे ही मोदी सरकार को सूट बूट और लूट की सरकार नहीं कहते हैं। अजय कुमार लल्लू ने मांग की है कि भूमिहीन मजदूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन जल्द से जल्द शुरु कराया जाए, जिससे प्रदेश की आधी आबादी को समाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके।

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