यूपी: राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव में भाजपा का डंका बजना तय
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माना जा रहा है कि वाजपेयी भी अगले सप्ताह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। रही बात अंबिका चौधरी की तो वह विधानसभा चुनाव के दौरान ही सपा छोड़ बसपा में शामिल हो चुके हैं। इसीलिए उन्हें दल-बदल के कारण सदस्यता रद्द करने की याचिका के चलते त्यागपत्र देना पड़ा है।
भले ही मौजूदा समीकरण और अपनी परंपरागत सीट पर भाजपा से मिली लगातार दो पराजय को देखते हुए उन्होंने बसपा में ही खुश होने की बात कही है। पर, सियासी गलियारों में देर-सवेर उनके भी भाजपा के करीब होने की चर्चाएं तेज हैं। इन छह सीटों के अलावा विधान परिषद की एक सीट सपा के बनवारी यादव की मृत्यु के कारण रिक्त है।
भाजपा इनमें से अगर किसी को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाना चाहती है, सभी को विधान परिषद के जरिये ही विधान मंडल में लाना चाहती है तो भी उसके पास जरूरत से एक सीट अधिक हो गई है। अगर किसी को विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला होता है तो भाजपा के पास विधान परिषद की और रिक्त सीटें उपलब्ध हो जाएंगी।
परिषद में सभी सीटों पर जीत के समीकरण
उपचुनाव होने के नाते विधानसभा कोटे की रिक्त होने वाली सभी छह सीटें भाजपा के खाते में जाना निश्चित है। कारण, उपचुनाव में हर सीट की अलग अधिसूचना जारी होगी। अलग मतदान होगा। इसलिए मतों के कोटे की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी। मतलब, हर सीट के उम्मीदवार को सभी विधायक वोट दे सकते हैं। जाहिर है, विधानसभा की तीन चौथाई सीटों पर भाजपा के विधायक होने के नाते उसका पलड़ा भारी है।
इससे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो जाएगी। इस समय प्रदेश से राज्यसभा में भाजपा के विनय कटियार, मनोहर परिकर और शिवप्रताप शुक्ल सदस्य हैं।
कौन भेजा जाएगा भाजपा से राज्यसभा
वैसे तो कहा जा रहा है कि विधान परिषद सीटों से त्यागपत्र देकर मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और बाकी के दो राज्यमंत्रियों के लिए विधानमंडल की सदस्यता का रास्ता साफ करने वालों में से किन्हीं दो को राज्यसभा भेजा जा सकता है। खास तौर से यशवंत सिंह के नाम की ज्यादा चर्चा है, पर भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्र इससे इन्कार करते हैं।
इनकी मानें तो मायावती के त्यागपत्र से रिक्त सीट पर पार्टी किसी महिला, वह भी दलित वर्ग से किसी को भेजकर दलितों तथा महिलाओं के समीकरण साधने की कोशिश करेगी। रही बात मनोहर परिकर के त्यागपत्र से रिक्त होने वाली सीट की, तो इस पर संगठन से जुड़े किसी प्रमुख व्यक्ति को भेजा जा सकता है। सबसे ज्यादा चर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष के काफी विश्वस्त माने जाने वाले एक सज्जन की है।