यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एक साल पूरा होने पर विश्ववार्ता को दिया पहला इंटरव्यू

यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राज्यपाल के रूप में एक साल पूरा होने पर विश्ववार्ता समाचार पत्र समूह को अपना पहला इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने राज्यपालों की संवैधानिक भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों से लेकर यूपी के पिछड़ेपन और कानून व्यवस्था तक पर बेबाक बातचीत की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पिछली कुछ सरकारों ने लोगों की जरूरत के हिसाब से काम करने के बजाए वोट लेने की दृष्टि से काम किया। यही यूपी के पिछड़ेपन का मूल कारण है। आनंदीबेन पटेल ने यह भी कहा कि राज्यपाल को रोकने का हक किसी मुख्यमंत्री को नही हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को विश्वविद्यालय जाने से रोकने का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अधिकार नही है। विश्ववार्ता समाचार पत्र समूह के राज्य ब्यूरो प्रमुख गोलेश स्वामी के साथ राज्यपाल से हुई बातचीत के खास अंश…
राज्यपाल के रूप में एक साल पूरे होने पर आपको बहुत-बहुत बधाई। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है फिर भी पिछड़ा हुआ है। इसके क्या कारण हैं। योगी सरकार को क्या-क्या कदम उठाने चाहिए?
यूपी में सब कुछ है। पानी, पेड़-पौधे का अभाव नहीं है। मिट्टी फलने वाली है। लेकिन वर्षों से जिन पर प्रदेश के विकास का दायित्व था, उनमें प्रदेश को सही रास्ते पर ले जाने की कमी दिखाई दी। वे केवल इस दृष्टि से काम करते रहे कि फिर से सत्ता कैसे मिले। इस हिसाब से राज्य चलता रहा, जबकि वहां भी यह सोचकर विकास के काम कराए जाने चाहिए थे कि इस बार इन्होंने वोट नहीं दिया तो क्या हुआ, पांच साल बाद देंगे। जहां तक योगी सरकार का सवाल है, कोई भी सरकार एक साल या पांच साल में कुछ ज्यादा नहीं कर सकती। उसे कम से कम पंद्रह साल मिलने चाहिए।
यूपी की कानून व्यवस्था से आप संतुष्ट हैं या उसमें अभी और सुधार की जरूरत है?
यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार की काफी जरूरत है। सरकार को इस मोर्चे पर हिम्मत से काम लेना चाहिए। अच्छे काम करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए। केवल कानून व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को ही नहीं, सभी विभागों के अच्छे काम करने वाले कार्मिकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
एक शिक्षिका के नाते आप विद्यार्थियों को नंबर देती रही हैं। एक राज्यपाल के नाते योगी आदित्यनाथ की सरकार को आप कितने नंबर देंगी?
योगी जी की सरकार का कामकाज नंबरों के हिसाब से नहीं देखना चाहिए। आप वर्तमान प्रदेश सरकार की स्थिति यह मानकर चलिए कि जिस घर में हम रहने जा रहे हैं, वह घर टूटा हुआ है। ऐसे में उसमें रहने से पहले हमको उसकी मरम्मत करानी होगी। उसमें जो कमियां हैं, उसे दूर करना होगा। यानी सबसे पहले उसे रहने लायक बनाना होगा। अब विकास के काम हो रहे हैं। पहले अनेक स्थानों पर रास्ते तक नहीं थे। अब फोर लेन, सिक्स लेन रोड बन रहे हैं। पहले टुकड़ों-टुकड़ों में काम होता था, अब परमानेंट हो रहा है। यह बात दीगर है कि कोराना की आकस्मिक आपदा के कारण केंद्र और राज्य का काफी बजट उधर डायवर्ट हुआ है।
पिछले एक साल के कार्यकाल में आपने शिक्षा पर काफी ध्यान दिया है। आप यूपी की शिक्षा के स्तर के बारे में क्या कहना चाहेंगी?
यूपी के बच्चे बहुत अच्छे हैं। उनमें पढऩे की बहुत क्षमता है। यहां की बच्चियां अच्छा रिजल्ट लाई हैं। लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियां हैं। यह काम शुरू से योजनाबद्ध तरीके से होता तो पूरा होता जाता। शिक्षा के क्षेत्र में अभी यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं पूरा होने में पांच-दस साल लगेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से केंद्र सरकार में आए हैं, योजनाओं में बजट आया है। पहले की केंद्र सरकार रही हो या राज्य सरकार, उनकी प्राथमिकता में शिक्षा नहीं आती थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने अनेक योजनाएं देकर देश की राज्य सरकारों को पहली बार जवाबदेह बनाया है। चाहे वह शिक्षा की योजना हो या प्रधानमंत्री आवास योजना या उज्जवला गैस योजना या शौचालय निर्माण योजना हो। हिसाब लेना-देना बहुत जरूरी है। जैसे हम बेटी को उसके खर्च के लिए सौ रुपये देते हैं तो उससे हिसाब लेते हैं कि नहीं कि उसने उन सौ रुपये का क्या किया, कितने का क्या-क्या खरीदा।
यूपी में खासतौर से राजधानी लखनऊ में कोरोना आए दिन बढ़ रहा है। क्या यह स्वास्थ्य सेवाओं का फेल्योर है या जागरूकता की कमी। 
जागरूकता की कमी है। सख्ती दिखाई जा रही है। लाकडाउन में रात में भी लोग बाहर भटकते रहते थे। लोग मोहल्लों में बाहर निकल आते थे। मुझे बताया गया कि गली-मोहल्लों में बड़ी संख्या में एक कमरे के छोटे मकान में आठ-दस लोग रहते हैं। सबके सोने के लिए जगह नहीं। यदि यह बात सही है तो ऐसे में चार-पांच लोग बाहर घूमेंगे ही। लेकिन लोग मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। आप भी इस ऐतिहासिक अवसर की साक्षी बनीं। मंदिर निर्माण से देश और प्रदेश को क्या लाभ होगा?
यह आस्था का विषय है। हम सब पांच सौ साल से यह मांग करते आ रहे थे कि जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। राम मंदिर हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर है, उसे केवल हिंदू धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यूपी में सब कुछ है। भगवान राम और श्रीकृष्ण की जन्म भूमि है। स्वामी नारायण का मंदिर है। गौतम बुद्ध ने यहां से पूरे विश्व को शांति का संदेश दिया। गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां हैं। राम से हमें काफी प्रेरणा मिलती है।
एक साल में क्या चुनौतियां आपने महसूस कीं। सरकार के कामकाज में क्या योगी जी आपसे सलाह लेते हैं?
योगी जी अनुभवी मुख्यमंत्री हैं, इसलिए सलाह जैसी कोई बात नहीं है। लेकिन प्रदेश के सामने कोई गंभीर या ज्वलंत विषय आता है तो उस पर निश्चित रूप से चर्चा होती है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और फिर राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम से राज्यपालों की भूमिका सवालों के घेरे में है। उनके संवैधानिक अधिकारों पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस बारे में आप क्या कहेंगी?
राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और सभी राज्यपाल संवैधानिक दायरे में रहकर ही काम कर रहे हैं। कोई मुख्यमंत्री राज्यपाल को मना नहीं कर सकता कि आप यह नहीं कर सकते। राज्य सरकार का हर काम राज्यपाल के हिसाब से होता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वहां के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को यूनिवर्सिटी जाने से रोक नहीं सकती हैं। ममता बनर्जी का ऐसा करना गलत है।
काफी समय से कुलपतियों का कार्यकाल तीन से बढ़ाकर पांच साल करने की बात चल रही है। आप क्या इस बात की पक्षधर हैं कि कुलपतियों का कार्यकाल बढ़े?
मेरी सोच है कि कुलपतियों को काम करने के लिए एक साल मिले या पांच साल, उनको अच्छी तरह से काम करना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि वे ऐसा कुछ करके दिखाएं कि आम जनता में उनकी सराहना हो।
महिला कल्याण और सशक्तिकरण के लिए राजनीति में आईं
यूपी की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने एक अनुशासन प्रिय शिक्षिका व प्रधानाचार्य बनने के बाद स्वयं के राजनीति में आने की दिलचस्प दास्तान सुनाईं। उन्होंने बताया कि यह सन् 1985 से लेकर 1987 तक की बात है। उन्होंने अखबारों में पढ़ा कि भाजपा गुजरात के विकास और कल्याण को लेकर न्याय यात्रा निकालने जा रही है। मैं अहमदाबाद जैसे शहर में रहती थीं लेकिन गांव जाती थीं तो वहां बिजली, पानी के अभाव को लेकर आश्चर्य होता था। उस समय के भाजपा गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष केशुभाई पटेल और प्रदेश महामंत्री नरेंद्र भाई मोदी न्याय यात्रा का नेतृत्व कर रहे थे। मैं न्याय यात्रा से जुड़ गई। मुझसे कहा गया कि थोड़ा कुछ बोलिए। मैंने महिलाओं के कल्याण की बात रखी। इसके बाद मुझसे पार्टी से जुडऩे के लिए कहा गया। लेकिन मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि मेरे बच्चे छोटे हैं और मेरे पास समय भी नही है। लेकिन कुछ समय बाद मुझसे फिर यह कहते हुए पार्टी से जुडऩे को कहा गया कि आप के आने से महिलाओं को लाभ मिलेगा। धीरे-धीरे मेरे मन में भी विचार आया कि यदि महिलाओं के कल्याण के लिए काम करना है तो मेरे जैसी पढ़ी-लिखी महिलाओं को आगे आना ही होगा और इस तरह मैं भाजपा से जुड़कर राजनीति में आ गई।
मां के दूध की महिमा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए
यूपी की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को इस बात की गहरी टीस है कि सरकारों ने मां के दूध की महिमा को नहीं समझा। उन्होंने कहा कि सरकार को मां के दू्ध की महिमा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। अभी हम सरकार के स्तर पर साल में एक बार विश्व स्तनपान सप्ताह मनाकर इसके महत्व को बताकर यह समझ लेते हैं कि अपना काम पूरा हुआ, जबकि बड़ी संख्या में महिलाओं को बच्चों को अपने दूध की फीडिंग कराने के फायदे के बारे में पता ही नही हैं। इसी से कुपोषण आदि अनेक बीमारियां जुड़ी हैं। इसलिए जरूरी है कि स्कूल-कालेज से ही इसके महत्व के बारे में पाठ्यक्रम के जरिए जानकारी देनी चाहिए। 30-35 साल बाद केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लाकर ऐतिहासिक काम किया है। मेरी सोच तो यह है कि सरकार को परिवार के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी बातों को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। अब यह देखना शिक्षा विभाग का काम है कि बच्चियों को किस उम्र से इस बारे में जानकारी होनी चाहिए। यानी पाठ्यक्रम में इस विषय को आठवीं, नौंवी, दसवीं या ग्यारहवीं से भी शामिल किया जा सकता है। पाठ्यक्रम में बच्चियों के पीरियड शुरू होने, महिलाओं द्वारा गर्भधारण के बाद बरती जाने वाली सावधानियां, गर्भधारण के बाद सोनोग्राफी की जरूरत आदि के बारे में भी बताया जाना चाहिए। इन सब बातों को लेकर मां-बेटी सम्मेलन किए जाने चाहिए। इस बारे में महिलाओं को ही नहीं, पुरुषों को भी जानकारी होनी चाहिए। अनेक माडर्न लड़कियों द्वारा अपने बच्चों को स्तनपान न कराना सही नही है। कहने का तात्पर्य यह है कि पाठ्यक्रम से एक दिन ग्रास रूट लेवल पर मां के दूध की महिमा की जानकारी होगी।
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