मौसम विभाग का हाई अलर्ट 23 दिसंबर से 26 दिसंबर तक दिल्ली में रहेगा शीत लहर का कहर

पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद मैदानी इलाकों में शीतलहर का प्रकोप जारी है. बागेश्वर के मैदानी क्षेत्रों में सुबह इतना ज्यादा कोहरा हो रहा है, मानो बर्फ पड़ रही है, शीतलहर ने यहां लोगों का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है. वहीं, अगले 72 घंटों के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है. विभाग ने 23 दिसंबर से 26 दिसंबर तक दिल्ली में शीत लहर चलने का अनुमान जताया है. साथ ही घने कोहरे की भी संभावना जताई है.

उत्तर भारत के कई हिस्से शीत लहर की चपेट में हैं और कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया है. वहीं कश्मीर में सोमवार से कड़ाके की सर्दी की 40 दिन की अवधि ‘चिल्लईकलां’ शुरू हो गया है. आपको बता दें कि कश्मीर ममें कड़ाके की ठंड के 3 चरण होते हैं जिसका पहला फेज शुरू हो गया है. इसे जन्नत की सर्दी का सितम यानी हाड़ कंपाने वाली ठंड को मापने का मीटर कह सकते हैं.

घाटी में 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक यानी 40 दिन की अवधि को सर्दी के मौसम का सबसे ठंडा समय माना जाता है क्योंकि यहां इस दौरान तापमान में काफी गिरावट आती है, जल स्रोत जम जाते हैं और घाटी में तापमान जमाव बिंदू (शून्य) से भी नीचे होने की वजह से पानी आपूर्ति में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पारंपरिक रूप से 21 दिसंबर से लेकर मार्च के आखिरी हफ्ते तक के अंतराल को ही असल सर्दी का सीजन माना जाता है.

ताजा पश्चिमी विक्षोभ से हिमालय के ऊपरी हिस्सों के प्रभावित होने के चलते दिल्ली में न्यूनतम तापमान सोमवार को थोड़ी वृद्धि के साथ 5.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. वहीं हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई. मौसम अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी होगी.

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी​ दिल्ली में आज एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 329 (बहुत खराब ) श्रेणी में है. दिल्ली में आज सुबह कोहरा छाया रहा. कोहरा छाए रहने की वजह से विजिबिलिटी कम हो गई.

पंजाब और हरियाणा में भी शीत लहर चल रही है. पंजाब के आदमपुर में न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि अमृतसर भी सर्दी की चपेट में है और वहां न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस रहा. हरियाणा भी ठंड की चपेट में है और अम्बाला में रात में तापमान 3.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

कश्मीर में अधिकारियों ने बताया कि बादल छाए रहने की वजह से न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई लेकिन फिर भी पारा जमाव बिंदू से नीचे रहा. जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 4 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा, जो बीती रात के न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 6.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक है. वहीं पहलगाम में तापमान शून्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि गुलमर्ग में तापमान शून्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश कड़ाके की ठंड की गिरफ्त में है और राज्य में दूरदराज के स्थानों पर शीतलहर चल रही है. सोनभद्र जिले में चुर्क राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा और यहां न्यूनतम तापमान 3.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम अधिकारियों ने बताया कि राज्य में मौसम शुष्क है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर घना कोहरा छाया रहा और कुछ दूरदराज स्थानों पर कड़ाके की शीत लहर चल रही है.

राजस्थान में न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से लोगों को ठंड से थोड़ी राहत मिली है. हालांकि, राज्य के एकमात्र पर्वतीय स्थल माउंट आबू में रविवार रात तापमान शून्य से दो डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. मौसम विभाग के अनुसार राज्य के मैदानी भागों में न्यूनतम तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. भीलवाड़ा में सोमवार रात न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. वहीं चुरू में 4.7 डिग्री, डबोक में 4.8 डिग्री, चित्तौड़गढ़ में पांच डिग्री, वनस्थली में छह डिग्री, पिलानी में 6.1 डिग्री, गंगानगर में 6.3 डिग्री और सीकर में 6.4 सेल्सियस डिग्री दर्ज किया गया.

हिमाचल प्रदेश में भी लोगों को कड़ाके की शीत लहर से थोड़ी राहत मिली है क्योंकि राज्य में पिछले 24 घंटे में न्यूनतम तापमान में दो से 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है. लाहौल-स्पीति का प्रशासनिक केंद्र केलोंग राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा, यहां तापमान शून्य से 7.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.

मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा में गंभीर शीत लहर जबकि गुजरात के कच्छ क्षेत्र, तेलंगाना, पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गंगा वाले क्षेत्र में शीत लहर चलने की संभावना है. ऐसे में मैदानी इलाकों वाले राज्यों के लोगों की परेशानी बढ़ सकती है.

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