मोदी सरकार से आयातकों ने की दाल स्टॉक लिमिट पर छूट की मांग

the-seizure-of-16-million-pulses-562752e79820a_lदाल आयातकों ने भंडारण सीमा में सरकार से छूट का अनुरोध करते हुए कहा कि वह नवंबर के अंत तक रोजाना एक लाख किलोग्राम अरहर की दाल 135 रुपए प्रति किलो की दर से मुहैया कराने के लिए तैयार हैं। 
 
मुंबई की भारतीय दाल एवं अनाज संघ के अध्यक्ष प्रवीन डोंगरे ने शुक्रवार को यहां वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही। 
 
डोंगरे ने कहा कि आयातित दालों की प्रचूर उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों में कमी लाई जा सकती हैं और इसके लिए सरकार को दलहनों पर आयात और आयातकों को भंडारण सीमा में छूट देनी चाहिए। यह बैठक जेटली की अन्तर मंत्रालय बैठकों के बाद हुई है जिसमें दलहन आयातकों से वैश्विक बाजार से खरीदने में आ रही दिक्कतों के बारे में विचार विमर्श किया गया। 
 
दालों विशेषकर अरहर दाल की कीमत 200 रुपए प्रति किलो से ऊपर निकल जाने के बाद सरकार ने भंडारण सीमा लागू की। जेटली ने बुधवार को बताया था कि विभिन्न राज्यों में मारे गए 3290 छापों में 36 हजार टन दाल जब्त की गई। केन्द्र सरकार की भंडारण सीमा के तहत आयातक ,निर्यातक , लाइसेंस खाद्य प्रसंस्करण करने वाले और डिपार्टमेंटल स्टोरों को लाया गया था। 
 
उन्होंने कहा कि आयातकों ने इस वर्ष जनवरी तक 25 लाख टन दाल के आयात के सौदे किए हैं और करीब ढाई लाख टन माल बंदरगाहों पर पड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि दालों की भंडारण सीमा लागू किए जाने से “पाइपलाइन खाली हो जाएगी।” 
 
डोंगरे ने कहा कि दालों की बढ़ती कीमत से आम लोगों को राहत दिलाने के लिए हम पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। हमनेे सरकारी एजेंसियों को रोजाना 135 रुपए प्रति किलो पर एक लाख किलोग्राम आयातित अरहर की दाल मुहैया कराने कराने की पेशकश की है। संघ रोजाना दाल की इतनी मात्रा अगले महीने के अंत तक मुहैया कराएगा। 
 
आयातकों के सामने आ रही समस्याएं और बैठक में उठायी गई मांग के संबंध में पूछे जाने पर अध्यक्ष ने कहा कि जेटली ने उनकी बातें सुनी हैं और उन पर विचार का भरोसा दिया है। संघ ने यह मुद्दा भी उठाया कि राज्यों में आयातकों के लिए औसत भंडारण सीमा 300 से 350 टन है। आयातकों के लिए इस सीमा के तहत माल रखना बहुत मुश्किल है। 
 डोंगरे ने कहा कि एक जहाज में कम से कम 50 हजार टन दालें आयात होकर आती हैं ऐसे में इतनी कम मात्रा में स्टॉक सीमा रखकर काम कर पाना कैसे संभव होगा। मानसून की बेरुखी की वजह से देश में दलहन उत्पादन में वर्ष 2014-15 के दौरान 20 लाख टन की कमी आई है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर भी दलहन उत्पादन में कमी से संकट बढ़ी है। 
 

 

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