अभी अभी: मोदी सरकार ने उठाया नोटबंदी से भी बड़ा कदम, हिल गया पूरा देश

नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय घाटे पर नियंत्रण पाने के लिए तरकीब ढूंढ ली है। शत्रु संपत्ति विधेयक 2016 के पारित होने के बाद सरकार को एक लाख करोड़ रुपए का फायदा होगा। इस बिल से कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी के ऑफिस को शत्रु संपत्ति बेचने की शक्ति मिलेगी, जिसकी पुराने एनिमी प्रॉपर्टी ऐक्ट, 1968 के तहत अनुमति नहीं थी।

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1968 के ऐक्ट के जरिए नियुक्त किए गए इस ऑफिस को 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद बची शत्रु संपत्तियों की रखवाली, प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी दी गई थी। गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इस ऑफिस को अब इसके पास मौजूद संपत्तियों के निपटारे की ताकत मिल गई है। संसद के सिलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट में उपलब्ध कराए गए डेटा से पता चलता है कि देश में पाकिस्तानी नागरिकों की 11,882 एकड़ में फैली 9,280 अचल संपत्तियां हैं।

कस्टोडियन ऑफिस के पास मौजूद इन अचल संपत्तियों की कुल कीमत 1,04,340 करोड़ रुपये हैं। कस्टोडियन ऑफिस के पास मौजूद चल संपत्तियों में 266 लिस्टेड कंपनियों में 2,610 करोड़ रुपये की वैल्यू के शेयर्स, 318 अनलिस्टेड कंपनियों में 24 करोड़ रुपये की वैल्यू के शेयर्स, 0.4 करोड़ रुपये के गोल्ड और ज्वैलरी, 177 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस, गवर्नमेंट सिक्यॉरिटीज में 150 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट और फिक्स्ड डिपॉजिट्स में 160 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इसके अलावा कस्टोडियन ऑफिस के पास चीनी नागरिकों की 149 अचल संपत्तियां भी हैं, जो पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली में मौजूद हैं।

ईटी इंटेलिजेंस ग्रुप’ की ओर से 2008 में किए गए एक विश्लेषण में पता चला था कि कस्टोडियन ऑफिस के पास मौजूद शेयर्स विप्रो, सिप्ला, एसीसी, टाटा ग्रुप, डीसीएम ग्रुप, बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कंपनी, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज, डीएलएफ, एचयूएल, आईटीसी, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, इंडिया सीमेंट और आदित्य बिड़ला जैसी लिस्टेड कंपनियों में हैं। सांसद और सिलेक्ट कमिटी के अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव ने बताया, ‘कस्टोडियन ऑफिस के पास शत्रु संपत्ति को बेचने के साथ ही इन पर अवैध कब्जा करने वालों को निकालने की भी शक्ति है।’

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