मृत्यु की देवी मानी जाती हैं मां काली, जानें क्या हैं पूजन विधि

कंडे (गाय के गोबर के उपले) जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा अर्पित करें। नवरात्र के सातवें दिन हवन में मां कालरात्रि की इन मंत्रों के उच्‍चारण के साथ पूजा करें।

सातवें दिन हवन में मां कालरात्रि के इस मंत्र का उच्‍चारण करें – ऐं ह्लीं क्‍लीं कालरात्र्यै नम:।।

मां काली का एक नाम शुभंकरी भी है

नवरात्र का सातवें दिन मां काली की पूजा की जाती है। यह रूप भी मां दुर्गा का अवतार है। मां काली मृत्यु की देवी भी मानी जाती हैं। वह अंधकार को नष्ट कर प्रकाश प्रज्वलित करती हैं। मां काली के पास दिव्य शक्तियां है, जिनसे उन्होंने बुराई का सर्वनाश कर अच्छाई का प्रसार किया था। मां काली हमेशा स्वच्छता पसंद करती हैं। मां का यह स्वरूप हमें यह शिक्षा देता है कि दुख, दर्द, क्षय, विनाश और मौत अपरिहार्य हैं, इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वे हमेशा सत्य की राह पर चलते हुए जीवन जीने की बात कहती हैं। इसलिए हमें मां काली के आदर्शों पर चलकर जीवन जीना चाहिए।

मां का स्वरूप

मां कालरात्रि का शरीर घने अंधकार की तरह एकदम काला है। बाल बिखरे हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं।

मां की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में कटार है।

मां की महिमा

कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं।

Back to top button