मुुंबई एयरपोर्ट की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में अडानी ग्रुप

जुबिली न्यूज डेस्क
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का सबसे ज्यादा जोर निजीकरण पर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है।
मोदी सरकार जहां बैंकिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण की ओर बढ़ रही है तो वहीं रेलवे में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। कई स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने के बाद अब मोदी सरकार का टारगेट एयर इंडिया है।
ये भी पढ़े: तो क्या राष्ट्रपति ट्रंप झूठे और धोखेबाज हैं?
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : अज़ादारी पर बंदिश भक्त की नहीं हनुमान की बेइज्ज़ती है
यह भी पढ़ें :  प्रशांत भूषण मामले से कांग्रेस ने क्यों दूरी बना रखी है ?

ऐसी खबरें आ रही है कि देश के दूसरे सबसे बड़े मुंबई एयरपोर्ट का संचालन अडानी ग्रुप के हाथों में जा सकता है। अडानी समूह GVK ग्रुप के साथ विवाद के निपटारे के बाद 74 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने जा रहा है। मुबंई इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के सबसे व्यस्त और लाभप्रद एयरपोर्टों में से एक है।
अब तक GVK ग्रुप बहुसंख्यक हिस्सेदारी के साथ मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का संचालन कर रहा था। मुंबई एयरपोर्ट में हिस्सेदारी के बाद अडानी ग्रुप के अधीन 6 एयरपोर्ट आ जाएंगे। इसके बाद अडानी ग्रुप देश का दूसरा सबसे बड़ा प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर बन जाएगा।
फिलहाल देश का सबसे बड़ा प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर जीएमआर ग्रुप है, जो दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट जैसे हवाई अड्डों का संचालन कर रहा है।
यदि अडानी ग्रुप मुंबई एयरपोर्ट का अधिग्रहण कर लेती है तो उसके पास नए तैयार होने वाले नवी मुंबई एयरपोर्ट का भी ठेका चला जाएगा।
इसके पहले बीते सप्ताह हुई कैबिनेट मीटिंग में जयपुर, त्रिवेंद्रम और गुवाहाटी एयरपोर्ट का ठेका अडानी समूह को दिए जाने को मंजूरी दी गई थी।
ये भी पढ़े: सरकार के जॉब पोर्टल पर कितने लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन और कितनों को मिली नौकरी
ये भी पढ़े:  चेतन मामले में संजय सिंह दर्ज कराएंगे FIR
ये भी पढ़े: जानिये कौन होगा कांग्रेस का नया अध्यक्ष

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया था कि अडानी ग्रुप को एयरपोर्ट्स का संचालन दिए जाने से एयरपोर्ट अथॉरिटी को कुल 1,070 करोड़ रुपये की रकम मिलेगी। इन हवाई अड्डों के ऑपरेशन, मैनेजमेंट और डिवेलपमेंट की जिम्मेदारी अडानी समूह को 50 साल तक के लिए दी गई है। यही नहीं आने वाले दिनों में अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरू एयरपोर्ट का संचालन भी अडानी समूह के हाथों में जा सकता है। ग्रुप ने बीते साल इन सभी 6 एयरपोर्ट्स के संचालन के ठेके के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी।
अडानी समूह को त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट सौंपने का केरल सरकार ने किया है विरोध
केरल सरकार ने त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट का संचालन अडानी समूह को दिए जाने का विरोध भी किया है। केरल के सीएम पिनराई विजयन ने पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकार सहयोग नहीं कर पाएगी।

सीएम विजयन ने अपने पत्र में याद दिलाया था कि 7 साल पहले उड्डयन मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि जब किसी प्राइवेट कंपनी को शामिल किया जाएगा तो राज्य सरकार के योगदान का भी ध्यान रखा जाएगा।
केरल सरकार की ओर से कई बार केंद्र सरकार से यह मांग की गई थी कि त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट को स्पेशल पर्पज वीकल के तहत चलाया जाना चाहिए, जिसमें राज्य सरकार का बड़ा दखल होना चाहिए।
सीएम ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को हवाई अड्डा बनाने के लिए मुफ्त में ही 23.57 एकड़ जमीन ट्रांसफर की थी। ऐसे में स्पेशल पर्पज वीकल के तहत होने वाले मैनेजमेंट में राज्य सरकार को भी बड़ी हिस्सेदारी दी जानी चाहिए थी।

Back to top button