मुस्लिम समुदाय ने अपने अधिकार बनाए रखने के लिए निकाली रैली, मलय बहूसंख्यकों ने लिया हिस्सा

मलेशिया में हजारों मुस्लिमों ने मलय बहुसंख्यकों के विशेषाधिकारों को समाप्त करने के किसी भी प्रयास के विरोध में शनिवार को यहां बड़ी रैली निकाली। प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के गठबंधन को मई में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद यह पहली बड़ी रैली है। मुस्लिम समुदाय ने अपने अधिकार बनाए रखने के लिए निकाली रैली, मलय बहूसंख्यकों ने लिया हिस्सा

इस रैली को देश की दो सबसे बड़ी विपक्षी मलय पार्टियों का समर्थन था। यह नस्लीय भेदभाव पर संयुक्त राष्ट्र संधि को अंगीकार करने की सरकार की योजना के विरोध पर केंद्रित थी। आलोचकों का मानना है कि संधि को अंगीकार करने से मलय समुदाय के लोगों को प्राप्त विशेषाधिकार समाप्त हो जाएंगे। हालांकि यह योजना फिलहाल त्याग दी गई है।

मलेशिया में 1969 में भीषण दंगों के बाद से शांति है। इसके एक वर्ष के बाद मलेशिया ने तरजीही कार्यक्रम शुरू किया जिसके तहत मलय समुदाय के लोगों को रोजगार, शिक्षा, अनुबंध तथा आवास में विशेषाधिकार दिए गए थे। यह पूरी कवायद अल्पसंख्यक चीनी समुदाय के साथ धन के अंतर को समाप्त करने के लिए थी। 

तीन करोड़ 20 लाख की आबादी वाले इस देश में मलय समुदाय की संख्या करीब दो तिहाई है। इसके अलावा चीनी और भारतीय लोग बड़ी संख्या में यहां हैं जो अल्पसंख्यक हैं। शनिवार को हुई यह रैली दूरदराज के इलाके में स्थित एक भारतीय मंदिर में दंगे के बाद 80 लोगों को गिरफ्तार किए जाने के दो सप्ताह से भी कम समय में हुई है। सरकार ने इस पूरे मामले को भूमि विवाद से जुड़ा मामला बताया और कहा कि यह नस्लीय हिंसा नहीं थी। 

महातिर का कहना है कि सरकार ने देश में लोकतंत्र के कारण रैली की इजाजत दी है, साथ ही किसी भी प्रकार की अराजकता फैलने के प्रति लोगों को आगाह भी किया। प्रदर्शन में शामिल लोगों में से अनेक ने सफेद टीशर्ट पहनी हुई थीं जिन पर ‘रिजेक्ट आईसीईआरडी’लिखा था। 

इसका मतलब संयुक्त राष्ट्र संधि (इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन द एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म्स ऑफ रेशियल डिस्क्रिमिनेशन) से था। 

प्रदर्शन में शामिल एक छात्र नूरुल कमरयाह ने कहा, ‘मेरे लिए आईसीईआरडी खराब है। यह इसलिए खराब है क्योंकि यह मलय लोगों की स्थिति को नीचे लाएगा। यह मलय लोगों का देश है। हम चाहते हैं कि मलय समुदाय के लोग सर्वश्रेष्ठ रहें लेकिन ये लोग क्यों मलय समुदाय के लोगों को चीनी और भारतीयों के बराबर लाना चाहते हैं।’ 

Back to top button