मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल परिसर में काफी संख्या में नरकंकाल बरामदगी मामले में हुआ खुलासा….
मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में शनिवार को जो नरकंकाल मिले थे, वो असल में चार महीने से लावारिस अवस्था में अस्पताल में पड़े थे। इन डेढ़ दर्जन लावारिस लाशों को मुख्यमंत्री के आने के पहले एसकेएमसीएच में आनन-फानन में जला दिया गया था। इस बारे में खुलासा होने के बाद पता चला है कि अभी भी अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस में 13 लाशें दो महीने से अंत्येष्टि के इंतजार में हैं।
शनिवार को इतनी संख्या में मिले नरकंकाल पर कोहराम मचने के दूसरे दिन रविवार को भी इस प्रकरण को लेकर एसकेएमसीएच व प्रशासनिक महकमे हलचल तेज रही। विभागीय सूत्रों का मानना है कि जांच में एसकेएमएसीएच व अहियापुर थाने के कई अफसरों पर गाज गिर सकती है।
वहीं जिले के एसएसपी मनोज कुमार ने कहा कि जांच के क्रम में स्थानीय पुलिस के स्तर पर हुई चूक को भी रेखांकित किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि दाह स्थल की निगरानी के लिए एसएसपी के निर्देश पर अहियापुर थानेदार ने दो पदाधिकारी व होमगार्ड व चौकीदार को प्रतिनियुक्त किया है। जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि किस परिस्थिति में पोस्टमार्टम हाउस में पड़ीं लावारिस लाशों को अमानवीय तरीके से एसकेएमसीएच परिसर में ही जला दिया जाता है।
इधर, एसकेएमसीएच के एफएमटी के प्रभारी डॉ विपिन कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद अज्ञात लाशों की जानकारी पुलिस को सौंप दी जाती है। दाह संस्कार करवाने का जिम्मा पुलिस का है। पुलिस अक्सर सामूहिक रूप से लाशों का संस्कार करवाती है। इसलिए कितनी लाशें जलाई गईं, यह जांच का विषय है।
आठ जून को लिखा था पत्र
अहियापुर पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार आठ जून को एसकेएमसीएच के अधीक्षक ने पोस्टमार्टम हाउस में पड़ीं लावारिस लाशों को जलाने का प्रस्ताव अहियापुर थाने को भेजा था। इसके बाद अहियापुर पुलिस ने लाश जलाने के लिए अनुमानित राशि के आवंटन के लिए एसएसपी के माध्यम से डीएम को पत्र लिखा था। राशि 15 जून को अहियापुर पुलिस ने बैंक से प्राप्त की। इसके बाद 17 तारीख को लाशों का दाह संस्कार किया।
श्मशान घाट पर ही होगा दाह संस्कार : एसएसपी
एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि एसकेएमसीएच परिसर में लावारिस लाशों के दाह संस्कार करने की चली आ रही परंपरा पर रोक लगा दी गई है। पूर्व से चिह्नित श्मशान घाट पर ही लाशों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।
नरकंकाल बरामदगी, पुलिस और विभाग के पेच में महीनों से सड़ रहे शव
मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न थानों और रेल पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के लिए लाए गए डेढ़ दर्जन से अधिक लावारिस शव पुलिस और विभाग के पेच में महीनों से पड़े हैं। इनकी अंत्येष्टि कब होगी, किसी के पास सटीक जवाब नहीं। एफएमटी विभाग की मानें तो हर माह औसतन आठ से 10 लावारिस शव लाए जाते हैं।
फ्रीजर में सिर्फ छह शव रखने की क्षमता
एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस में शवों को सुरक्षित रखने के लिए एकमात्र डीप फ्रीजर की व्यवस्था है। इसमें सिर्फ छह शवों को रखने की क्षमता है। इससे ज्यादा शव होने के कारण ऐसे ही कमरे में रख दिया जा रहा। भीषण गर्मी में उच्च तापमान होने केकारण इन शवों में तेजी से सडऩ हो रही।
समझा जा सकता है कि अप्रैल-मई से यूं ही पड़े शवों की स्थिति क्या होगी? भीषण गर्मी में शव से दुर्गंध उठ रही, जिससे पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद कर्मचारियों का रहना मुश्किल हो रहा। उनका कहना है कि संसाधनों के अभाव में वे कुछ नहीं कर सकते।
पुलिस देती है डिमांड पत्र
लावारिस शवों की अंत्येष्टि के लिए पुलिस को रोगी कल्याण समिति की ओर से प्रति शव दो हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके लिए पुलिस समिति को राशि का डिमांड पत्र देती है। अंत्येष्टि के बाद पुलिस को इसका पूरा विवरण प्रस्तुत करना पड़ता है।
इन थानों के पड़े हैं शव
रेल थाना, अहियापुर, कांटी, सरैया, सकरा, कटरा, करजा, साहेबगंज, देवरिया, कथैया, मीनापुर, मनियारी, सिवाईपट्टी व मोतीपुर।