मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को दिया निर्देश कि अतीक और उसके साम्राज्य के खिलाफ पूरी कार्रवाई की जाए..

प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद माफिया अतीक अहमद की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगाह अब मुख्तार की बजाय अतीक के सम्राज्य को खत्म करने पर रहेंगी। शुक्रवार के हत्याकांड को लेकर 62 साल के अतीक अहमद के खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। बताते चलें कि अतीक 2019 से ही गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती जेल में बंद है। 

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के दो बेटे उमर और अली, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई अशरफ पर भी मामला दर्ज किया गया है। इस हत्याकांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अतीक अहमद और उसके ‘साम्राज्य’ के खिलाफ पूरी तरह से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने शनिवार को यूपी विधानसभा में भी कहा था कि ”माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।” एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी से नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उमेश पाल हत्याकांड अतीक के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित होगा, वह पहले से ही सवालों के घेरे में है।

अतीक की अवैध कमाई और संपत्ति पर पहले ही कार्रवाई हो रही हैं, इसके बावजूद उमेश पाल की हत्या की योजना बनाना और उसे अंजाम देने का दुस्साहस करना भी उनकी बहादुरी को दर्शाता है। अधिकारी ने बताया कि हमें अतीक अहमद के साम्राज्य को पूरी तरह से खत्म करने के लिए कहा गया है।

अपराध की दुनिया में अतीक अहमद ने अपना पहला कदम 1979 में रखा था। एक हत्या के आरोपी के तौर पर वह चर्चित हुआ था। इसके बाद 1989 में उसने अपनी इसी दुर्दांत छवि के साथ राजनीति की दुनिया में कदम रखा। इसी साल अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की थी। इसके बाद 1991 और 1993 में इस सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी। 1996 में, अतीक ने सपा उम्मीदवार के रूप में उसी सीट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1998 में सपा ने बाहुबली को बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन 1999 में वह अपना दल में शामिल हो गया और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन यहां हार का मुंह देखना पड़ा।

अतीक ने 2002 के विधानसभा चुनावों में अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2003 में अतीक फिर से सपा के पाले में लौट आया और 2004 के लोकसभा चुनावों में फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की, यह वह सीट थी, जिस पर कभी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जीत दर्ज की थी।

जनवरी 2005 में अतीक सुर्खियों में आया, जब बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2005 में इस सीट पर उपचुनाव कराए गए, जहां अशरफ ने राजू पाल की पत्नी और बसपा उम्मीदवार पूजा पाल को हराकर चुनाव जीता था। अशरफ ने फिर से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार बसपा की पूजा पाल ने उसे पटखनी दे दी।

अशरफ राजू पाल हत्याकांड में आरोपी भी था और मौजूदा समय में बरेली जेल में बंद है। पांच साल बाद, 2012 के विधानसभा चुनावों में अतीक ने फिर से उसी सीट से अपना दल से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन बसपा की पूजा पाल से 8,885 मतों के अंतर से हार गया। अतीक ने 2014 में सपा के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा लेकिन हार नसीब हुई, यहां से मन नहीं भरा तो अतीक ने 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी से नामांकन दाखिल किया लेकिन मात्र 885 वोट मिले।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अतीक के खिलाफ दर्ज 100 एफआईआर में से 54 मामले यूपी की अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत गैंगस्टरों के खिलाफ लगातार जारी अभियान में, अतीक और उसके परिवार के सदस्यों की 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्की की जा चुकी है।

एक समय ऐसा भी था जब अतीक का दबदबा प्रयागराज के अलावा कौशांबी, लखनऊ और नोएडा के रियल स्टेट से जुड़े धंधों पर हुआ करता था। अब उसी अवैध संपत्तियों की परतें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उधेड़ रहा है। 

प्रयागराज जिला पुलिस और यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स भी राज्य भर में अतीक के परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों का विवरण संकलित करने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है।

डिप्टी एसपी (एसटीएफ) नवेंदु कुमार ने कहा, “राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अतीक के दो बेटों उमर और अली के खिलाफ दो-तीन मामलों की जांच चल रही है। और दोनों अलग-अलग जेलों में बंद हैं। इधर उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के खिलाफ भी पहला आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल जनवरी में, अतीक की पत्नी शाइस्ता ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बसपा में शामिल हुई थीं और यहां तक ​​कि शहरी निकाय चुनाव लड़ने की घोषणा भी की। हालांकि, मायावती द्वारा प्रयागराज हत्याकांड के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत करने के बाद अब बसपा में उनका भविष्य अनिश्चित माना जा रहा है।

पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि अतीक अहमद का साहसी रवैया अब उसी को महंगा पड़ेगा, उमेश पाल हत्याकांड के बाद, अतीक अहमद, उसके परिवार और उसके गिरोह पर सीएम योगी आदित्यनाथ की निगाहें पूरी तरह से टिकी रहेंगी। 

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