अपने मन को आईने की तरह ऐसे करें साफ

– चैतन्य कीर्ति  अपने मन को आईने की तरह ऐसे करें साफ

हुनर तो यह है कि आप अपने मन को निर्दोष बना लें। दूसरे आपके भीतर झांकें तो उन्हें अपनी छवि ही दिखाई दे। यह करना ही ध्यान का उद्देश्य है।

मेवलाना जलालुद्दीन रूमी के प्रसिद्ध कथा सुनाते थे। उनकी यह कथा मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं। एक बार एक महान शासक ने बहुत ही बड़े कलाकारों के दो समूह को हुक्म दिया कि वह उनके लिए सिंहासन कक्ष बनाएं।

ऐसे व्यक्ति जो अपने वर्तमान से संतुष्ट न हों, कभी खुश नहीं हो सकते,

उन्होंने दो आसपास के कमरों को परदों से ढंककर उन्हें काम करने के लिए छोड़ दिया। एक तरफ चीन के बेहतरीन कलाकार थे और दूसरी तरह यूनान से आए संगतराश। दोनों ही अपने हुनर में माहिर और अपनी कला में दिग्गज।

चीन के कलाकारों ने अपने अद्भुत कौशल और तकनीक से ऐसा आलीशान सिंहासन वाला कक्ष बनाया जो बादशाह के ख्वाब में ही था। उन्होंने सोने की बारीक काम से दीवारों को जिंदा कर दिया। दूसरे कमरे में यूनानी कलाकारों ने जमीन और दीवारों पर संगमरमर बिछा दिया। ऐसा जिसमें अपना चेहरा भी देखा जा सके। जब सिंहासन कक्ष तैयार हो गए तो बादशाह उन्हें देखने के लिए आया।

चीनी कलाकारों वाले कमरे में सोने की बारीक कारीगरी थी। इसके दूसरी तरफ जो कमरा यूनानी कलाकारों ने बनाया था वह बहुत ही पॉलिश था और दूसरे कमरे में जो कुछ भी था उसकी हूबहू छवि इस कमरे में दिखाई देती थी।

इस कमरे के कलाकारों ने बिना ज्यादा खर्च के अपने कमरे को भव्यता दे दी। यह उनके काम की खूबी थी कि उन्होंने बहुत ही थोड़े संसाधनों के साथ कमाल कर दिया था। उनका हुनर उन्हें दूसरे कलाकारों पर बढ़त दे गया।

यह कहानी हमें ध्यान और सत्य को महसूस करने के बारे में बताती है। संगमरमर को पॉलिश करने का मतलब यही है कि आप सभी तरह की धूल से उसे अलग कर देते हैं। इसी तरह मस्तिष्क भी है कि जब आप उस पर से बीती बातों की धूल हटा देते हैं तो वह चमक उठता है।

ओशो ने कहा है कि आपका मन साफ और एकदम खाली होना चाहिए। ताकि आपके जरिए लोग खुद को देख सकें। अगर आप सत्य को दिखाना चाहते हैं तो आपको ईश्वर को जानना होगा जो कि ईश्वर का दूसरा नाम है।

तो हम अपने मन को दर्पण की तरह कैसे बनाएं। इसकी क्या तरकीब है। रास्ता बस इतना है कि आप जो भी करते हैं उसके बारे में सतर्क और जागरूक हो जाएं। बस बैठ जाएं और अपने शरीर को देखें, विचारों को जानें और भावनाओं पर ध्यान दें। अपने हर काम में पूरी तरह जाग्रत रहें।

महसूस करें कि आप सिर्फ शरीर नहीं है। महसूस करें कि आप केवल दिमाग नहीं हैं जो उधेड़बुन में लगा रहे। महसूस करें कि आप बस साक्षी हैं। अपनी आत्मा को निर्दोष बनाकर यह महसूस करें। जब एक बार आप चीजों को इस तरह देखने लगेंगे तो आप संसार की असल सुंदरता को देख पाएंगे। अपने होने को सुंदर बना पाएंगे।

 

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