मनीष सिसोदिया को देखने अस्पताल पहुंचे नेता, डॉक्टरों ने कहा-कभी भी स्थिति हो सकती है गंभीर

उपराज्यपाल के दफ्तर में पिछले 8 दिनों से धरने पर बैठे और 6 दिन से अनशन कर रहे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया है. मनीष सिसोदिया की जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि कभी भी स्थिति गंभीर हो सकती है. वे एलजी दफ्तर में सीएम केजरीवाल के साथ धरने और अनशन पर हैं.

मनीष सिसोदिया को देखने अस्पताल पहुंचे नेता, डॉक्टरों ने कहा-कभी भी स्थिति हो सकती है गंभीर आम आदमी पार्टी के मंत्रियों से मिलने तमाम राजनीतिक दलों के नेता पहुंच रहे हैं. सपा नेता रामगोपाल यादव और सीपीआई नेता डी राजा ने अस्पताल जाकर सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का हालचाल जाना. रामगोपाल ने कहा कि वह अरविंद केजरीवाल और AAP की मांगों का समर्थन करते हैं और जरूरत पड़ी तो उनकी पार्टी के लोग भी धरना देंगे.

इससे पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया. मनीष सिसोदिया के शरीर में कीटोन का स्तर खतरे के निशान से पार कर गया है.

सत्येंद्र जैन भी पहुंचे अस्पताल

उप राज्यपाल के आवास पर पिछले सात दिन से धरने पर बैठे मंत्री सत्येंद्र जैन की रविवार आधी रात को अचानक तबीयत बिगड़ गई. उन्हें फौरन एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अचानक तबियत बिगड़ने पर डॉक्टरों की एक टीम उन्हें एलएनजेपी अस्पताल लेकर गई. डॉक्टरों ने बताया कि मंत्री को कुछ दिनों तक अस्पताल में ही रखना पड़ेगा, उन्हें ग्लूकोज़ चढ़ाया जा रहा है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खबर की पुष्टि की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,”सत्येंद्र जैन को खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ये धरना है या हड़ताल और क्या इसकी कोई अनुमति ली गई या खुद ही तय कर लिया गया.

कोर्ट ने पूछा कि अगर ये खुद व्यक्तिगत रूप से तय किया गया (केजरीवाल और मंत्रियों द्वारा) फैसला है तो ये एलजी के घर के बाहर होना चाहिए था. क्या एलजी के घर के अन्दर ये धरना करने के लिए इजाजत ली गई है? हाईकोर्ट ने कहा कि आप कैसे किसी के घर या दफ्तर में जाकर हड़ताल पर बैठ सकते हैं.

उन्होंने सीधा सवाल किया कि जैसे ट्रेड यूनियन अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठती है, क्या ये वैसी ही हड़ताल है. धरने पर बैठने का फ़ैसला कैबिनेट का है या ये व्यक्तिगत फ़ैसला है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि इसका जल्द से जल्द कोई समाधान ढूंढा जाना चाहिए.

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