बड़ी खबर: तबाह हुआ चीन, 250 फीसदी हुआ कर्ज

चीन भले ही इन दिनों पूरी दुनिया में इकॉनमिक ग्रोथ के टापू की तरह नजर आ रहा हो, लेकिन भविष्य में उसके बुरी तरह लड़खड़ाने का भी खतरा है।

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रॉयटर्स की ओर से की गई स्टडी के मुताबिक, चीन भारी कर्ज लेकर इकॉनमिक ग्रोथ करने मे जुटा है और यह स्थिति लंबे समय नहीं रह सकती। आम लोगों पर बढ़ते कर्ज, प्रॉपर्टी में अप्रत्याशित उछाल और बढ़ते कॉर्पोरेट कर्ज के चलते मार्केट भविष्य में बुरी तरह लड़खड़ा सकता है।
यह कहानी 2009 में शुरू हुई थी, जब चीन ने वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान 600 बिलियन डॉलर यानी करीब 40,874 अरब रुपये का प्रोग्राम लॉन्च किया था। चीन ने इकॉनमिक ग्रोथ को बढ़ाने के मकसद से यह कदम उठाया था। उसके बाद सरकारी संस्थाओं से कर्ज लेने की लहर चल गई और आज यह एक बोझ साबित हो रहा है। इस साल चीन का कर्ज उसकी जीडीपी का 250 पर्सेंट हो चुका है। इनमें से सबसे अधिक कर्ज सरकारी कंपनियों का है, जिन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट के लिए कर्ज लेने का भी टास्क दिया गया था।
चीन की इकॉनमी इस साल 6.5 पर्सेंट से 7 पर्सेंट तक के अपने ग्रोथ के लक्ष्य को इस साल मिस करती दिख रही है। ऐसे में सरकार एक बार फिर से कर्ज के ही भरोसे इकॉनमी को रफ्तार देने की तैयारी में है। कई अर्थशास्त्रियों का कहना था कि चीन की तरह जिन देशों ने तेजी से कर्ज लेकर इकॉनमी की रफ्तार बढ़ाने की कोशिश की, वे जल्दी ही संकट में घिर गए। इसके अलावा बैंक फॉर सेटलमेंट्स ने भी कहा है कि आगामी तीन सालों में चीन के बैंकिंग सेक्टर को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
चीन में हाउसहोल्ड डेट इस साल रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचते हुए जीडीपी के 40 पर्सेंट के बराबर हो गया है। सबसे बड़ी चिंता की बात है कॉर्पोरेट कर्ज, यह सरकारी फर्म्स से ही लिया गया है और अब इसका आंकड़ा जीडीपी के 169 पर्सेंट के करीब जा पहुंचा है।
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