मोटापा घटाने के लिए ब्रिटेन ने लगाया टैक्स
ब्रिटेन की सरकार ने हाल ही वीरवार को उन कंपनियों पर टैक्स लगाने की घोषणा की है जो शुगरी सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाती हैं. इस टैक्स को ब्रिटीश स्कूल के बच्चों के हेल्थ प्रोग्राम में लगाया जाएगा. जबकि आलोचकों का कहना है कि एक लंबे समय से प्रतीक्षित ये रणनीति बच्चों का मोटापा कम करने के लिए बहुत कमजोर है.
वहीं ड्रिंक्स कंपनी भी इस योजना से गुस्से में हैं जिसमें बच्चों के लिए बनाए जा रहे उत्पादों में शुगर की मात्रा अधिक होने पर टैक्स लगने की बात की जा रही है. आपको बता दें, ब्रिटेन में 2 से 15 साल की आयु के बच्चे या तो मोटे हैं या फिर ओवरवेट हैं.
ब्रिटेन की जूनियर वित्त मंत्री जेन एलिसन ने योजना की जानकारी देते हुए बताया कि हर साल मोटापे पर ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस से बिलियन पाउंड्स खर्च हो जाते हैं. आज मोटापा देश के लिए बड़ी समस्या बन गया है. इसी के तहत सरकार ने शुगर युक्त शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों पर टैक्स बनाने की योजना बनाई है. जबकि हेल्थ एक्सपर्ट और कंपनियां इस योजना को काफी कमजोर बता रहे हैं.
एक्शन ऑन शुगर कैंपेन ग्रुप के चेयरमैन और कार्डियोवस्कुलर मेडिसिन के प्रोफेसर ग्राहम मैकग्रेगोर का कहना है सरकार की ये योजना ब्रिटेन में मोटापे और डायबिटीज की समस्या पर अपमानजनक प्रतिक्रिया है.
टैक्स लगाने की प्रक्रिया में 100 एमएल तक की ड्रिंक्स में 5 ग्राम से अधिक शुगर होने पर टैक्स लगेगा. जैसे-जैसे शुगर की मात्रा पेय पदार्थों में बढ़गी टैक्स भी उसी अनुपात में बढ़ता रहेगा.
ब्रिटीश स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बच्चों के लिए शुगरी ड्रिंक्स अकेला ऐसा उत्पाद है जिसमें सबसे ज्यादा शुगर होती है. बच्चे जरूरत से ज्यादा शुगर का सेवन एक कोला की कैन के जरिए करते है. एक कोला कैन में तकरीबन 9 चम्मच चीनी होती है.
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कंपनियों को बच्चों में लोकप्रिय शुगरी ड्रिंक्स में 20 फीसदी की कमी करनी होगी. पहले साल में 5 फीसदी कमी हो फिर अगले छह महीने में सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा इसकी प्रोग्रेस पर समीक्षा होगी.
ब्रिटेन में शुगर टैक्स लगने से ये बेल्जियम, फ्रांस और हंगरी के क्लब में शामिल हो जाएगा. इन देशों में शुगरयुक्त पेय पदार्थों पर अलग-अलग तरह को टैक्स लगाया जाता है. इतना ही नहीं, स्वीडन, डेनमार्क और नॉर्वे में तो कई सालों से इस तरह का टैक्स वसूला जा रहा है.
वहीं ब्रिटीश सॉफ्ट ड्रिंक्स एसोसिएशन के निदेशक गेविन का कहना है कि टैक्स कंपनियों को सजा है. इससे हजारों लोगों की नौकरियां छिन जाएंगी और मोटापा कम करने के स्तर में कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा.
यूरोमोनीटर इंटरनेशनल की न्यूट्रिशन एनालिस्ट सारा पीटरसन का कहना है कि शुगर पर फोकस करने से मोटापा बढ़ने के अन्य कारण नजरअंदाज हो जाएंगे.