ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख दादी जानकी का 104 साल की उम्र में निधन, देश-विदेश में शोक की लहर

नई दिल्ली: ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी का शुक्रवार को निधन हो गया। 104 साल की उम्र में उन्होंने माउण्ट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में 27 मार्च को प्रातः 2 बजे अंतिम सांस ली। संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में दोपहर 3:30 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके निधन की खबर से देश-विदेश में संस्था के अनुयायियों में शोक की लहर है।
दादी जानकी को 2007 में बनी मुख्य प्रशासिका: ब्रह्माकुमारीज संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि के देहावसान के पश्चात 25 अगस्त, 2007 को ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका का कार्यभार सौंपा गया। तब से लेकर आज तक वे देश और दुनिया भर में अमन, चैन और सुख शांति की स्थापना के लिए कार्यरत थीं।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी इसी साल 1 जनवरी को 104 वर्ष की हुई थीं। 104 वर्ष की उम्र में भी 140 देशों में फैले अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्थान का संचालन करने वाली वे दुनिया की पहली मुख्य प्रशासिका हैं। उनके संसथान से करीब बीस लाख लोग जुड़े हैं और 46 हजार बहनों की वह अभिभावक थीं।
दादी के नाम दुनिया की पहली मुख्य प्रशासिका का खिताब तो है ही, साथ में 104 साल की उम्र में 12 महीने में 4 माह तक भारत के कई शहरों और दस देशों में 72 हजार किमी की यात्रा का विश्व रिकॉर्ड भी उन्होंने बनाया है। 1916 में जन्मी दादी जानकी प्रात: चार बजे उठकर ज्ञान, ध्यान, राजयोग और लोगों से मिलना जुलना प्रारंभ करती थीं।
दादी जानकी ने 46 हजार बहनों की ऐसी रूहानी सेना तैयार की है जो लोगों में आध्यात्मिकता के जरिए ज्ञान, राजयोग और साधना से मूल्यनिष्ठता को स्थापित करता है। दादी जानकी स्वच्छता के संदर्भ में हमेशा से एक्टिव रहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का उन्हें ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। कक्षा चौथी तक पढ़ी दादी जानकी ने ईश्वरीय सेवाओं के लिए पश्चिमी देशों को चुना। 1970 में पहली बार लंदन गईं और 35 वर्षों तक वहीं रहकर सौ से ज्यादा देशों में ईश्वरीय संदेश को पहुंचाया। हजारों-लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई। आज उनके निधन पर देश-विदेश में शोक की लहर है।

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