ब्रहाण्ड में प्रत्येक सृजित वस्तु और कुछ नहीं बल्कि ईश्वर के ज्ञान की ओर जाने वाला द्वार है -डा. भारती गांधी

सी.एम.एस. गोमती नगर ऑडिटोरियम में विश्व एकता सत्संग

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित विश्व एकता सत्संग में बोलते हुए बहाई धर्मानुयायी, प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी ने कहा कि ईश्वर की वास्तविकताको समझना हमोर मस्तिष्क से परे है। अतः हम प्रत्येक सृजित वस्तु में उसके गुणों की अभिव्यक्ति पा सकते हैं। बच्चे ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृृति हैं। अतः उन्हें ईश्वर की इच्छा के अनुकूल बनाना आवश्यक है। बच्चों के उचित पालन-पोषण के लिए ईश्वर ने माता-पिता बनाये हैं, जो उन्हें जीवन मूल्यों व संस्कारों का ज्ञान दे सकें, साथ ही ईश्वर की महानता से अवगत करा सकें। डा. गाँधी ने संयुक्त परिवार, जिसमें दादा-दादी, नाना-नानी हों, वही उत्तर परिवार है क्योंकि इनके अभाव में बच्चे भ्रमित हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सी.एम.एस. में बच्चों को भौतिक, मानवीय व आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है जिससे बच्चों का अधिकतम विकास होता है। यही बच्चे दुनिया में उच्च पदों पर बैठकर विश्व शान्ति तथा विश्व एकता स्थापित करेंगे। इससे पहले, सी.एम.एस. शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर भजनों से विश्व एकता सत्संग का शुभारम्भ हुआ, जिन्होंने बहुत ही सुमधुर भजन सुनाकर सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर कर दिया।

विश्व एकता सत्संग में आज सी.एम.एस. राजेन्द्र नगर (तृतीय कैम्पस) के छात्रों ने रंगारंग शिक्षात्मक-आध्यात्मिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। स्कूल प्रार्थना से कार्यक्रम की शुरूआत करके छात्रों ने प्रार्थना गीत ‘ओ गॉड! गाइड मी’ एवं ‘नाव पार लगा दो प्रभु जी’ बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया। सुविचार के माध्यम से छात्रों ने ‘ईमानदारी’, ‘बड़ों का आदर करना’ तथा ‘मिलजुलकर विश्वास से रहना’ आदि गुणों पर प्रकाश डाला। बच्चों की माताओं ने गीत ‘बड़े प्यार से मिलना सबसे दुनिया में इन्सान रे’ गाया। इसके अलावा, छात्रों द्वारा प्रस्तुत भाव गीत ‘दादा-दादी, नाना-नानी का अलग ही होता नाता’ एवं ‘पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो’ को सभी ने खूब सराहा। इस अवसर पर कई विद्वजनों ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वंदना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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