बुरे फंसे शौरी, बतौर विनिवेश मंत्री औने-पौने दामों में बेची थी सरकारी कंपनियां, दर्ज होगी FIR

जोधपुर। जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल और तीन अन्य लोगों के खिलाफ लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की बिक्री के मामले में आपराधिक केस दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस होटल की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी, उन्हें सिर्फ सात करोड़ रुपये के औने-पौने दाम लेकर बेच दिया गया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पूरन कुमार शर्मा ने यह भी आदेश दिया कि उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को राज्य सरकार को सौंप दिया जाए।

सीबीआई अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन सचिव प्रदीप बैजल ने अपने पदों का दुरुपयोग किया और सौदे में केंद्र सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। इस मामले में तीन अन्य आरोपियों आशीष गुहा, तत्कालीन निवेश फर्म लाजार्ड इंडिया लिमिटेड के एमडी कांतिलाल करमसी विकमसे, तत्कालीन मूल्यांकन फर्म कांति करमसी एंड कंपनी के प्रमुख और भारत होटेल्स लिमिटेड के चेयरपर्सन और ज्योत्सना सूरी के प्रबंध निदेशक हैं। विशेष अदालत ने आदेश दिया कि इन सबके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अरुण शौरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री थे उनके मंत्रालय ने कई बड़ी सरकारी कंपनियों के सौदे को मंजूरी दी थी। अब वो इन्हीं सौदों में एक लक्ष्मी विलास होटल को लेकर निशाने पर आ गए हैं। अरुण शौरी को प्रधानमंत्री वाजपेयी का पूरा समर्थन प्राप्त था और शौरी ने विनिवेश की राह पर तेज रफ्तार लगाई और कई बड़ी कंपनियों का सौदा किया। इस क्रम में 14 मई, 2002 को मारुति उद्योग लि. के विनिवेश को भी मंजूरी दे दी गई। दो चरणों में विनिवेश के बाद 2006 में भारत सरकार का मारुति उद्योग में स्वामित्व पूरी तरह खत्म हो गया। उस समय बीपीसीएल और एचपीसीएल के विनिवेश की भी बात चली लेकिन तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री के विरोध के बाद ये दोनों कंपनियां बिकने से बच गई थी।
तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने सरकारी कंपनियां बेचकर सरकार के खजाने में हजारों करोड़ रुपये डाल दिए। हिंदुस्तान जिंक और भारत ऐल्युमीनियम आदि कंपनियां वाजपेयी सरकार में निजी हाथों में चली गईं। टाटा ग्रुप ने सीएमसी लि. और विदेश संचार निगम लि.खरीदी थीं। विनिवेश की प्रक्रिया यूं ही धड़ल्ले से चलती गई और सरकारी एफएमसीजी कंपनी मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्प, प्रदीप फॉस्पेट्स, जेसॉप ऐंड कंपनी भी बिक गई थी।
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