बिहार में महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच ऱिश्तों की कड़वाहट साफ देखी जा रही ,घटक दलों की बढ़ रही परेशानी

 तीसरे चरण में बिहार के जिन पांच सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होने हैं, वहां गठबंधन की गांठ खुलती दिख रही है। कांग्रेस की सिटिंग सीट सुपौल में तो घटक दलों में ही घमासान है। न कांग्रेस की सभाओं में राजद के लोग जा पाए और न ही राजद की सभाओं में कांग्रेस के लोग। यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में भी जाने से राजद नेता तेजस्वी यादव ने परहेज किया। जाहिर है, कांग्रेस से राजद की दूरी लगातार बढ़ रही है। 

कांग्रेस-राजद के दिन प्रतिदिन कड़वे होते रिश्ते से महागठबंधन के अन्य घटक दल भी दो धड़े में बंटे दिख रहे हैं। कोई कांग्रेस के साथ खड़ा है तो कोई राजद के साथ। कांग्रेस की तरफ से 20 अप्रैल को सुपौल में राहुल गांधी की जनसभा में शिरकत करने के लिए महागठबंधन के घटक दलों को बुलाया गया था।

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने रैली में हिस्सा लिया, लेकिन तेजस्वी और उनके करीबी माने जाने वाले मुकेश सहनी ने जाना जरूरी नहीं समझा। तेजस्वी पास की सीट मधेपुरा में रहते हुए भी नहीं गए, जबकि सहनी ने अपने चुनाव क्षेत्र खगडिय़ा में व्यस्तता बताकर टाल दिया।

राहुल की बिहार में अभी तक चार सभाएं हो चुकी हैं, किंतु एक में भी तेजस्वी नहीं पहुंच पाए हैं। सीट बंटवारे की पहल के वक्त से कांग्र्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और तेजस्वी यादव के बीच कोई मीटिंग नहीं हो पाई है।
बात यहीं तक सीमित नहीं रही। राजद और वीआइपी की प्रत्येक जनसभा में मांझी को मान-सम्मान के साथ बुलाया जाता है। तेजस्वी के हेलीकॉप्टर से ही मांझी भी अक्सर जाते हैं। किंतु शनिवार को उन्हें कांग्रेस की सभा में जाना था। इसलिए तेजस्वी ने अपना हेलीकॉप्टर भी नहीं भेजा।
मांझी को गया जिला स्थित अपने गांव महकार से सड़क से पटना की दूरी तय करनी पड़ी, जिसके बाद वह कांग्रेस के हेलीकॉप्टर से सुपौल के लिए रवाना हो सके। गठबंधन की खुलती-हिलती गांठ का असर प्रचार के साथ-साथ कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता पर भी पड़ता दिख रहा है। प्रचार कार्यों में परस्पर सामंजस्य का अभाव तो है ही।

क्यों खफा हैं तेजस्वी 
सीट बंटवारे के वक्त से ही कांग्र्रेस और राजद की दूरियां बढ़ी हुई हैं, जो आजतक सिमटी नहीं है। कांग्र्रेस पप्पू यादव से मधेपुरा लड़ाने के पक्ष में थी, जबकि पुरानी अदावत के चलते तेजस्वी को यह मंजूर नहीं था। पप्पू के लिए कांग्रेस के प्रयास को रोकने के लिए तेजस्वी ने शरद यादव को मधेपुरा से अपनी पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। पप्पू वहां से अपनी पार्टी के प्रत्याशी हैं।

मधेपुरा का साइड इफेक्ट सुपौल पर पड़ रहा है, जहां से पप्पू की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। वहां राजद के जिलाध्यक्ष और विधायक यदुवंश यादव निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश यादव के समर्थन में खुलेआम घूम रहे हैं।

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