बिंदिया करती है अग्निचक्र को शांत

bindi-562b718337367_l (1)हजारों वर्षों से हमारे देश में पुरुष माथे पर तिलक और महिलाएं, बिंदी लगाती आ रही हैं। इससे हमारी सेहत भी जुड़ी हुई है आइए जानते हैं इसके बारे में।भौंह के बीच दाएं शरीर की सभी नसें मिलती हैं। इसे अग्निचक्र या तृतीय नेत्र भी कहते हैं। बिंदी लगाने से मन शांत व तनाव कम होता है।

एक्यूप्रेशर के अनुसार इस बिंदु पर मसाज करने से सिरदर्द में राहत मिलती है। नसें और रक्त कोशिकाएं रिलेक्स हो जाती हैं। इस पॉइंट पर मसाज करने से रक्त का संचालन नाक के आसपास अच्छी तरह से होने लगता है।

साइनस से होने वाली सूजन कम हो जाती है और बंद नाक खुल जाती है। चेहरे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे झुर्रियों का आना कम होता है। बिंदी रक्त का प्रवाह बढ़ाकर मांसपेशियों को लचीला बनाती है। इस पॉइंट पर मसाज करने से चेहरे की नसें सक्रिय होती हैं और चेहरे के पक्षाघात का खतरा घटता है।

आयुर्वेद में इसे ‘शिरोधारा’ कहते हैं। इसमें 40-60 मिनट तक मेडिकेटेड ऑयल से इस बिंदु पर मसाज की जाती है। कपाल के मध्य के केंद्र बिंदु की नसें आंखों की मांसपेशियों से संबंधित हैं जो अगल-बगल और स्पष्ट देखने में मदद करती हैं।

जो नस चेहरे की मांसपेशियों को उत्तेजित करती है वह कान के भीतर की मांसपेशियों को मजबूत बनाकर कान को स्वस्थ रखने में मदद करती है। भौंह के बीच लाइन कम होती है। मसाज करने पर रक्तप्रवाह बढ़ता है जिससे फाइन लाइंस चली जाती है।

चेहरे, गर्दन, पीठ और शरीर के ऊपरी भाग की मांसपेशियों की उत्तेजना को घटाकर मन को शांत करने का काम बिंदी करती है। इससे अनिद्रा में भी राहत मिलती है।

 

Back to top button