प्रधानमंत्री की दूरदर्शी एवं त्वरित कठोर निर्णय की बेजोड क्षमता 

 
 पूनम राजपुरोहित मानवताधर्मी
‘कोरोना वायरस’ ने एक झटके में ही मानव जाति द्वारा चांद व मंगल पर बस्तियां बसाने जैसी सभी वैज्ञानिक उपलब्धियों , सामाजिक विकास,ढांचागत सफल व्यवस्थाओं के निर्माण तथा आपदा नियंत्रण में सक्षमता आदि दावों को धराशायी कर दिया है। अमेरिका, चीन ,इंग्लैंड जैसे शक्तिशाली देश कोरोना वाइरस से भयाक्रांत होकर घुटनों के बल आ खडे हुए हैं। भारत की स्थिति भी कमोबेश वैसी ही है ,फलतः केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अघोषित आपातकाल स्तर पर युद्ध स्तरीय ‘ लाकॅडाउन ’ जैसे कठोर कदम उठाने पडे हैं!
पूनम राज पुरोहित
सौभाग्य से वर्तमान में भारत को नेतृत्व के रूप में नरेन्द्र भाई मोदी जैसा दृढ इच्छाशक्ति के साथ कठोर,दूरदर्शी व त्वरित निर्णय लेने में बेजोड सक्षमता वाला प्रधानमंत्री मिला हुआ है। कोरोना वाइरस के इस वैश्विक संकटकाल में प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रहित सर्वोपरि रूपी असंदिग्ध प्रतिबद्धता एवं छवि ने उनके घोर राजनैतिक विरोधियों तक को साथ खडे होने को मजबुर कर दिया है। प्रधानमंत्री के पहले एक दिवसीय जनता कफ्र्यू तथा बाद में 21 दिवसीय ‘लाकॅडाउन’ की अपील व आदेश को देश की संपूर्ण जनसाधारण ,सभी राजनैतिक दलों तथा समस्त धार्मिक , आध्यात्मिक ,सांस्कृतिक, सामाजिक , व्यापारिक आदि संगठनों का अभुतपूर्व समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री के प्रति इस अभूतपुर्व विश्वास,समर्थन एवं एकजुटता को नयी ‘राष्ट्रीय शक्ति अथवा पूंजी” का उदय कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। 
कोरोना को काबू करने के लिए व्यक्तियों के मध्य आपसी दूरी रखना ही एकमात्र कारगार उपाय होने के कारण सरकारों के सामने यकायक ‘लाकॅडाउन या कफ्र्यू’ के अतिरिक्त अन्य विकल्प नहीं था। देश की जनसाधारण स्वयं,समाज एवं राष्ट्र  हित में लाख प्रकार के कष्टों को सहन करते हुए भी ‘लाकॅडाउन’ का पालन करती नजर आ रही है। परन्तु रेल,बस सहित सभी प्रकार के परिवहन सेवाओं के अचानक बंद हो जाने से दिहाडी मजदूरी करने वाले,फेरी व रेहडी वाले,प्रदेशों  में दैनिक मजदूरी पर निर्भर वर्ग,घुमन्तु जातियां,पर्यटन,शिक्षा व व्यवसायिक भ्रमण पर गये लोगों के सामने अपने घर तक पहुंचने का गंभीर संकट खडा हो गया है। करोडों जनमानस का पूरे देश में बहुत बडा तबका है जो यहां–वहां अनिश्चितता  में फंस गया है। उन्हें समुचित व सुचारू रोटी,कपडा,मकान एवं चिकत्सा तक मिलना दूर की कौडी हो गई है। ऐसे लोगों के लिए कई दिनों बाद अब जाकर भोजनादि कुछ–कुछ स्थानीय स्तर पर सामाजिक संगठनों के प्रयास सामने आने लगे हैं।’’
कोरोना से देश को बाहर निकालने हेतु प्रधानमंत्री मोदी की सजगता,परिश्रम और प्रयास अतुलनीय है तथा देश में सभी दलों की राज्य सरकारें भी पूरजोर ईमानदार प्रयास कर रही है। यह संकट की घडी भारत के लिए कई शुभ संदेश भी लायी है। देश की जनसाधारण का इस आपदा काल में एकजुटजा से केन्द्र व राज्य सरकारों के प्रयासों में सकारात्मक भूमिका व योगदान लिए हर क्षण तत्पर खडा होना सुखद है। परन्तु देश में सर्वत्र दैनिक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, अति महत्वपूर्ण सेवाओं के संचालन तथा कानून व व्यवस्था बनाये रखने की नीति संबन्धित केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य स्पष्ट दिशा–निर्देशों तथा समन्वय के अभाव के चलते जनता के अन्दर एक अदृश्य आक्रोश पनपने अथवा पनपाये जाने के प्रयासों से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
आज भारत अपने मजबुत नेतृत्व एवं इच्छा शक्ति के चलते विश्व के सामने ‘कोरोना वायरस’ के विरूद्ध संगठित एवं एकजुट प्रयास युक्त मजबुत राष्ट्र के रूप में ऊभरकर सामने आया है। ऐसे समय में पुलिस,प्रशासन और सरकार द्वारा उठाये गये सभी कदम राष्ट्र व समाज के लिए एकजुटता का संदेश व संकल्प को मजबूत करते हुए उपयोगी एवं प्रभावी दिखने चाहिये। यह वक्त विश्व मानव समुदाय के सामने भारत,भारतीय जनमानस,भारतीय कार्य प्रणाली एवं संपूर्ण ढांचागत व्यवस्थाओं में सहजता व संतुलन तथा आपात परिस्थितियों के नियंत्रण में परिपक्वता सिद्ध करने का भी है। केन्द्र एवं राज्य सरकारों को पूरी ईमानदारी से ‘कोरोना वाइरस’ पर विजय प्राप्ति की लडाई में दैनिक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, अति महत्वपूर्ण सेवाओं के संचालन तथा कानून व व्यवस्था बनाये रखने की नीति व स्वरूप संबन्धित स्पष्ट दिशा–निर्देशों तथा समन्वय को लागू करना होगा। विशेषकर नियमों की अनुपालना संबधी दिशा–निर्देशों के अभाव में पूरे देश में समान रूप से पुलिस की ऊभरकर आयी गुण्डा कार्यशैली पर रोक लगाना अति आवश्यक है। निश्चित ही बार–बार नियमों की अनदेखी एवं लापरवाही करने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए परन्तु दंड के प्रावधान व तरीके सुसभ्य,कानून सम्मत और न्याय के मूल स्वभाव के अनुरूप होने भी उतने ही जरूरी है। 
वर्तमान में पूरा विश्व समुदाय इंटरनैट के चलते संवाद एवं जानकारियों की दृष्टि से हर समय सब कुछ देख रहा साथ बैठा परिवार बन चुका है। अतः आवश्यक है कि पूरे देश में पुलिस द्वारा खुल्लेआम जनमानस को गांव–गांव,शहर–शहर सड़कों व गलियों में दौडा दौडाकर कर मारपीट के दृश्यों को तत्काल  रोका जावें। सीमित रूप से ही सही परन्तु आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तथा सभी जन सेवाओं का संचालन स्पष्ट दिशा–निर्देशों के साथ चलें। भारत कोरोना वाइरस से पुलिसिया लाठी के बल पर नहीं अपितु विवेक,समझ,संवाद संयम, धैर्य और सेवा के मूल मन्त्र के साथ अनुशासित रूप से लडता नजर आना चाहिये।
भारत को ‘‘कोरोना वाइरस’’ जैसी आपात परिस्थितियों को प्रेम,एकता और समझपूर्वक निपटते हुए सुसभ्य नव भारत निर्माण के अवसर के रुप में लेना चाहिए। कारोना वाइरस के विरूद्ध युद्ध में पुलिस अपनी गुंडाई कार्यशैली के स्थान पर संयमपूर्वक गांधीगिरी से गांव–गांव व गली–गली दो–चार अच्छे उदहारण पेश करते हुए उच्चतम कठोरता की घोषणा करें तो अधिक प्रभावी होगा। विश्व  समुदाय में भारतीय पुलिस की ऊभरती हुई लटठमार, गुण्डाई ,स्वछंद एवं उद्दंड छवि से देश के कानूनों के अरिपक्व व अमानवीय होने, गरीबी, भुखमरी, वस्तुओं के आभाव, कमजोर वितरण प्रणाली, चरमराई सेवा व्यवस्था,ढांचागत विकास में विफलता आदि कहानियां बन रही है! ऐसे में दुनिया भारतीय संविधान,कानूनी प्रक्रिया और व्यवस्थाओं के संचालन व नियंत्रण में हमारी विफलताओं पर क्यों नहीं हँसेगी?  
इस स्थिति में पुलिस व जनता में दूरियां भी बढ़ेगी और कई प्रकार से स्थायी वैमनस्य की भावी स्थितियां बनेगी। कई स्थानों पर आम लोगों द्वारा पुलिस को पीटने के समाचार इन  चिंताओं को प्रमाणित कर रहे है। पुलिस के इस गुंडाई व्यवहार के चलते सुसभ्य लोगों द्वारा अतिआवश्यक चिकत्सा जैसे कार्यों के लिए भी बाहर नहीं निकलने से भारी जानमाल का नुकसान भी संभव है,जो समय बीतने के बाद ही ज्ञात हो सकेगा।अतः किसी भी कारण से कोई अकेला व्यक्ति हो ,स्त्री व बच्चों के साथहो ,वृद्ध हो अथवा अकेली स्त्री हो आदि मामलों में बिना पूछताछ के डण्डे बरसाने वाले पुलिस वालों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। जनता को बाहर निकलने से रोकने के उपायों में डंडे की बजाय आर्थिक एवं शारीरिक सेवा कार्य का दंड रखें जाये तो अधिक कारगर हो सकते हैं । कोई बिना उचित कार्य घूमता मिले तो बड़ा आर्थिक दंड का चालान हो अथवा हिरासत में लेकर दो–चार दिन–सप्ताह भर का शारीरिक श्रम का दंड कार्यालयों में बागवानी, आइसोलेशन सेंटरो में सेवा,गौशालाओं में गोबर उठाने आदि कार्य करवाया जाये! यह कदम जनता के बाहर निकलने की प्रवृति पर डंडे से कहीं अधिक प्रभावी नीति संभव होगें।
सरकार को अतिआवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति के सरल उपायों पर जोर देना चाहिए। जैसे कि सांसद, विधायक, जिला प्रमुख,पंचायत समिति प्रधान, सरपंच, ग्राम पंच स्तर तक के जन प्रतिनिधियों को कानूनी रुप से अपने क्षेत्रो में रहकर जनता से संवाद का काम अनिवार्य रूप से सौंपा जाये। ऐसा संक्षिप्त आपात प्रशिक्षण हों कि वो भेदभाव रहित तथा वोटगत सोच से ऊपर केवल राष्ट्रसेवा के मापदंडो पर कार्य करें। जो प्रतिनिधि इस आपातकाल धर्म में गैर जिम्मेदार आचरण करे,उन पर कठोर संसदीय कार्यवाही हो। ग्राम पंचायत स्तर पर ‘‘आवश्यक सेवा निर्णय समितियों ‘‘ का गठन हों ताकि आमजन की आवश्यकता के अनुसार समाधान की सरल अनुमति प्रक्रिया बन सके। इन कदमों से अनावश्यक सडकों पर निकलने का बोझ कम होगा। ग्रामसेवक,पटवारी आदि पंचायती राज कर्मचारियों को अपने कार्य स्थल पर रहने की अनिवार्यता कर गांव व पंचायत स्तर पर नियंत्रण कक्ष की भांति काम करने का आदेश हों ! ग्राम पंचायत स्तर पर अस्पताल आदि के लिए टेक्सी,आवश्यक वस्तुओं के लिए करियाना दुकान और सब्जी–दूध–दवादि हेतु अनुमति पत्र जारी हों। इन कदमों में कोरोना वाइरस से लडने के मूल नियमों से कोई समझाौता नहीं हों तथा भीड़ न होने देने एवं आपसी दूरी आदि नियम कठोरता से लागू रहें। 
(लेखक राष्ट्रवादी विचारक-एवं भारतीय जनसंघ के पूर्व राष्ट्रीय  महामंत्री रहे हैं) 
संपर्कः-47 श्री बालाजी नगर,सांचोर,जिला-जालोर-343041 
मोबाः-7742897640,9414154706 ईमेल-goadhikar@gmail.com

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