प्रकृति वंदन कार्यक्रम में बोले मोहन भागवत – प्रकृति के साथ सद्भाव भारतीय संस्कृतिक परंपरा का हिस्सा

वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने लोगों को प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर जीने का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सद्भाव में जीकर रहना हमारी सनातन भारतीय संस्कृति-परंपरा का अभिन्न हिस्सा है।

सरसंघचालक रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अखिल भारतीय प्रकृति वंदन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोगों के जीवन जीने का जो तरीका है, वह प्रकृति के अनुकूल नहीं है। प्रकृति का उपभोग करने की प्रकृति के दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं है।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत में नदियों, पेड़-पौधों, तुलसी, गाय, सांप, पर्वतों आदि की पूजा होती है। सभी प्रकृति के संरक्षक हैं। अब प्रकृति के संरक्षण की जरूरत है। सरसंघचालक के बौद्धिक के समापन पर कालेज में तुलसी के पौधे की पूजा भी की गई।
सरसंघचालक का पाथेय ग्रहण करने के लिए काशी जिले के उत्तर और दक्षिण भाग के स्वयंसेवक डीएवी इंटर कॉलेज में सजीव प्रसारण कार्यक्रम में सुबह से ही जुटे रहे। इस दौरान अखिल भारतीय संत समिति के जितेन्द्रानंद सरस्वती, बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्र और डॉ विद्यासागर पांडेय, लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र पर आरएसएस काशी प्रांत के सह प्रचार प्रमुख अंबरीष कुमार आदि भी सरसंघचालक के सजीव प्रसारण कार्यक्रम में शामिल रहे।
The post प्रकृति वंदन कार्यक्रम में बोले मोहन भागवत – प्रकृति के साथ सद्भाव भारतीय संस्कृतिक परंपरा का हिस्सा appeared first on Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper.

Back to top button