पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले सभी आतंकी ढेर, बालाकोट तक किया वार

जम्मू: पिछले महीने आज ही के दिन दक्ष्णि कश्मीर के पुलवामा के लेथपुरा में एक आत्मघाती आतंकी ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे. आज एक महीने बाद घटना सथल पर हमले की निशान तो मिट चुके हैं, राजमार्ग पर फिर वाहनों की हलचल पहले की तरह ही है लेकिन सुरक्षाबलों ने इस हमले की ज़िम्मेदार जैश के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं थमने दी.
हमले के दिन से ही जैश के खिलफ घाटी में कार्रवाई शुरू हुई, जहां सूचना मिली, वहां अभियान चलाया गया और चुन-चुनकर जैश के आतंकियों को ढेर किया गया. सुरक्षाबलों से मिले आंकड़ों और जानकारी के मुताबिक हमले के दिन से अब तक जैश के 14 जैश के आतंकियों को उनके 6 कमांडरों के साथ ढेर कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक इन 14 आतंकियों में से 6 आतंकी वो हैं जो सीधे तौर पर पुलवामा हमला अंजाम देने में शामिल थे. इनमें दो मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी कामरान और तसादुक खान ऐसे आतंकी थे जिन्होंने हमले की साज़िश रची थी. कामरान आईईडी बनाने में माहिर था और यह विस्फोटक भी उसी ने एकत्रित किया था. साथ ही आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार को भी इसी ने तैयार किया था. वही तसादुक ने इस विस्फोटक को त्राल तक पहुंचाया था और इसके लिए गाड़ी का बंदोबस्त भी किया था. 
श्रीनगर के 15 कोर के जेनरल ऑफिसर इन कमांड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा “पुलवामा हमले से अब तक 18 आतंकवादियों को मारा जा चुका है जिसमें जैश के 14 आतंकी हैं. हमले के दिन से ही जैश के खिलफ करवाई शुरू की गई थी. अब तक काफी सफल अभियान चलाया गया है. उन्होंने कहा कि जैश के खिलाफ तब तक कार्रवाई जारी रहेगी, जब तक सबको खत्म नहीं कर दिया जाता.” 
जैश के आतंकियों के खिलाफ अभियान न सिर्फ घाटी के अंदर चला बल्कि सीमा के पार भी उन पर हमले किए गए. देश की वायुसेना ने जैश के बालाकोट में एक बड़े कैंप को तबाह कर दिया जहां भारत के खिलाफ आतंकियों को तैयार किया जाता था. जहां एक तरफ आतंकियों के खिलाफ अभियान चला वही सुरक्षा विवस्था को भी टटोला गया है. कई ऐसे कदम उठाए गए हैं जिनसे सुरक्षाबलों के काफिले और हरकतों को सुरक्षित रखा जा सके. सीआरपीएफ के आईजी जुल्फकार हसन के मुताबिक “कई कदम उठाए गए हैं. काफिले के दौरान सिविल गाड़ियों की हरकत को रोका गया है और भी कई कदम है जिनसे यह सुनिश्चित होता है कि पुलवामा जैसी घटना फिर न घाटे.  

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