पिछले 4 – 5 महीने से लापता था बीमार युवक, महज 9 घंटे में परिवार से मिलाया

यूपी के ग्रेटर नोएडा में एक शख्स ने डंपिंग ग्राउंड में पड़े भूखे प्यासे पड़े एक युवक को उसके परिवार से मिलाने का काम किया है. उस शख्स का नाम सुनील नागर है, जिसने महज 9 घंटे में अधमरी हालत में पड़े युवक को उसके परिवार से मिलाने का काम किया. पीड़ित युवक की पहचान विकास यादव उर्फ पप्पू के रूप में हुई है. उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ माह से विकास ग्रेटर नोएडा के एक डंपिंग ग्राउंड में पड़ा हुआ था.

दरअसल, विकास यादव मानसिक रूप से अस्वस्थ है. वो पिछले 6 माह से ग्रेटर नोएडा के एक डंपिंग ग्राउंड में भूखा प्यासा पड़ा था, और उसका शरीर जवाब दे चुका था. तभी वहां से सुनील नागर नामक शख्स गुजरे तो उन्होंने विकास को देख लिया, और उसके पास जाकर हाल चाल पूछा. उसने अपना नाम पप्पू बताया.

सुनील ने कुछ देर उससे बात की तो विकास के मुंह से अंग्रेजी के साथ-साथ कई दोहे और संस्कृत के शब्द सुनकर उसे आश्चर्य हुआ. वो आधा घंटे तक विकास के पास बैठकर और जानकारी निकालने का प्रयास करते रहे. बातचीत के दौरान विकास ने कुछ नंबर बताये. जिनमे से एक नंबर पूरे 10 डिजिट का था. जब सुनील ने उस नंबर पर फोन किया तो वो नंबर विकास के एक रिश्तेदार का निकला.

 

उस नंबर पर बात करने से पता चला कि उसका नाम विकास है. और वर्षों पहले असमय माता-पिता की मृत्यु होने के बाद विकास की मानसिक स्थिति खराब हो गयी थी. और इलाज बीच में छोड़कर विकास घर से निकल गया था. पिछले 4 – 5 महीने से विकास लापता था. बता दें कि विकास के चाचा नेशनल प्लेयर रह चुके है और सरकार द्वारा पुरस्कृत है.

विकास की पहचान के बाद सुनील ने पुलिस की मदद से एम्बुलेंस बुलाई और उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाकर प्राथमिक जांच करवाई. विकास के बाल कटवा कर उसे कपड़े उपलब्ध करवाए और जो युवक पहली बार में 55 -60 साल का दिख रहा था, थोड़ी ही देर बाद स्थिति सही होने पर और कटे फटे चीथड़े बदलने, नहलाने और बाल कटवाने पर विकास सिर्फ 36 -37 साल का युवक निकला.

सुनील ने बताया कि एम्बुलेंस के 108 नंबर पर मदद के लिए कॉल करके जब उन्हें बताया कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के लिए मदद की जरूरत है तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि हमारे यहां प्रावधान नहीं है मानसिक रोगियों के लिए. इसके बाद सुनील ने पुलिस की मदद ले कर विकास को हॉस्पिटल पहुंचाया.

इसके बाद उसे पास के थाने में ले जाया गया और लगातार विकास के फूफाजी केपी यादव से बात की गई और रात करीब 10.30 बजे तक विकास के परिजन सुनील के पास पहुंच गए. विकास यादव उर्फ पप्पू को महज 9 घंटे में उसके परिजनों को सौंप दिया गया.

गौरतलब है कि सुनील नागर पहले भी ऐसा कर चुके हैं. पिछली घटना में पंजाब के खोए एक युवक अंग्रेज सिंह उन्होंने उसके परिवार से मिलाया था. तब उनके लिए फेसबुक सहारा बना था. लेकिन इस बार किस्मत से विकास के बड़बड़ाये कुछ नंबरो में से एक नंबर बिल्कुल सही जा लगा और विकास को उसके परिजनों से मिलाया जा सका.

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