पति के साथ भूखे-प्यासे पैदल चल पड़ी 8 महीने की प्रेगनेंट महिला, 100 किलोमीटर बाद मिली मदद

CoronaVirus को फैलने से रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन किया गया और इसकी वजह से दिहाड़ी मजदूरों, असंगठित श्रमिकों में ऐसा खौफ भर गया कि वे पैदल ही अपने घरों की तरफ चल दिए. इन्हीं में से एक मजदूर और 8 महीने की प्रेगनेंट उसकी पत्नी को मेरठ में रेस्क्यू किया गया है. ये दोनों सहारनपुर से बुलंदशहर पैदल ही चल दिए थे क्योंकि इनके मालिक ने इन्हें बिना पैसा दिए निकाल दिया था.
मेरठ तक 100 किलोमीटर बिना खाने के पैदल चलने के बाद ये बेहाल थे. मेरठ के सोहराब गेट पर वकील और यास्मीन नाम के इस कपल को नवीन कुमार और रवींद्र नाम के स्थानीय लोगों ने देखा. इसके बाद उन्होंने नौचंदी पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर प्रेमपाल सिंह को इसकी सूचना दी.

नौचंदी थाना इंचार्ज आशुतोष कुमार ने बताया कि वहां मौजूद लोगों और प्रेमपाल सिंह ने कपल को खाना और कुछ पैसे दिए, साथ ही उनके लिए एक एंबुलेंस की व्यवस्था की जो उन्हें बुलंदशहर में उनके गांव अमरगढ़ तक पहुंचा सके.
आशुतोष कुमार ने बताया कि वकील एक फैक्ट्री में काम करता था और 2 दिन में उसने अपनी पत्नी के साथ 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा की थी. यास्मीन ने पुलिस को बताया कि फैक्ट्री मालिक ने उन्हें एक कमरा रहने के लिए दिया हुआ था. लॉकडाउन की घोषणा के बाद उसे खाली करने को बोला और बिना पैसे दिए गांव भेज दिया.
कोई और रास्ता न देख गुरुवार को दोनों पैदल ही सहारनपुर से अपने गांव के लिए चल दिए. यास्मीन ने बताया कि रास्ते के लिए उनके पास खाना भी नहीं था और सारे रेस्टोरेंट-ढाबे भी बंद थे, इसलिए उन्हें भूखे रहना पड़ा.
25 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बाद पूरे देश में कंप्लीट लॉकडाउन किया गया और लोगों से घरों में रहने की अपील की गई. 21 दिनों के लॉकडाउन को लेकर दिहाड़ी मजदूरों और फैक्ट्री वर्कर्स के बीच दहशत फैल गई और वे पैदल ही अपने घरों की तरफ चल पड़े. रविवार को पीएम मोदी ने इस तरह अचानक लॉकडाउन की घोषणा पर माफी मांगते हुए बताया कि महामारी से निपटने के लिए यह करना ही पड़ेगा.

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