नेपाल ने बंद की सीमा, अपने नागरिकों को किया लेने से इनकार

प्रमुख संवाददाता
भारत की सड़कों पर घर लौटते मजदूरों की कतारें लगी हैं. इन्हें लेकर कई सूबों की सरकारें चिंतित नज़र आ रही हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने इनके लिए 1000 बसों का इंतजाम करने को कहा है. कई जगहों पर बसों का इंतजाम किया भी जा रहा है और एक-एक बस में भूसे की तरह लोगों को भरकर उनके गंतव्य के लिए रवाना किया जा रहा है. हालत ऐसी है कि बस में घुसने की भी जगह नहीं बची है और लोग बस की खिडकियों से भीतर घुसाए जा रहे हैं.
जब पूरे देश में लॉक डाउन घोषित हो चुका है तो फिर जो मजदूर जिस प्रदेश की सड़क पर है उसे उस प्रदेश की सरकार को किसी भी स्कूल या निर्माणाधीन कालोनी में ठहराकर उनके खाने और रहने का इंतजाम किया जा सकता है लेकिन दूसरे प्रदेश के नागरिकों की ज़िम्मेदारी लेने के लिए दूसरे प्रदेश की सरकारें तैयार नहीं हैं.
इसका खामियाजा आने वाले दिनों में पूरे देश को भुगतना पड़ेगा. इन राज्य सरकारों को पड़ोसी देश नेपाल से सबक लेना चाहिए. नेपाल ने कोरोना से अपने नागरिकों को बचाने के लिए अपनी सीमाओं को पूरी तरह से सील कर दिया है. इन सीमाओं से अब कोई नेपाली भी प्रवेश नहीं कर सकता है.

नेपाल सरकार ने बिलकुल स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि वह अपने देश में रह रहे नागरिकों को इस जानलेवा वायरस की चपेट में नहीं आने देगा. उसका जो नागरिक जहाँ है वहीं रहे. जो अपनी रोजी-रोटी के लिए भारत समेत किसी भी देश में गया हो वह भी वापस स्वदेश न लौटे.
भारत में काम करने वाले हज़ारों की संख्या में मजदूर नेपाल सीमा पर मौजूद हैं लेकिन नेपाल सरकार ने इन्हें वापस लेने से साफ़ मना कर दिया है. इन मजदूरों को भारतीय सीमा पर बसे गाँव के लोग दोनों समय का खाना दे रहे हैं. नेपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि नेपाल में रह रहे लोगों को वह किसी भी स्थिति में संक्रमण का शिकार नहीं होने देंगे भले ही वह उनका अपना नागरिक ही लेकर क्यों न आ रहा हो.
भारत में काम करने वाले जो मजदूर लॉक डाउन के बाद अपने देश वापस जाने के लिए निकले थे और उनके देश ने उन्हें वापस लेने से मन कर दिया तो उनके रहने और खाने के लिए धारचूला पुलिस और ग्रामीणों ने इंतजाम किये. उनके लिए कांजी हाउस खोल दिया गया है. उन्हें खाने-पीने का सामान और पानी की बोतलें उपलब्ध कराई गई हैं. उनके लिए मास्क, सैनेटाइज़र और ग्लब्ज़ की व्यवस्था भी की गई है.

नेपाल में आने से रोके गए मजदूरों की मदद कर रहे भारतीय ग्रामीणों का कहना है कि हमारे शुरू से ही इन लोगों से सम्बन्ध रहे हैं. हालात खराब हैं तो हम इन्हें मरने के लिए नहीं छोड़ सकते. नेपाल सरकार इन्हें नहीं ले रही है तो यह कांजी हाउस में रहें, हम इनके खाने और पानी का इंतजाम करेंगे.
भारतीय ग्रामीणों का कहना है कि सामान्य दिनों में यही मजदूर हमारे देश के विकास के लिए काम करके अपने लिए रोजी रोटी का इंतजाम करते हैं. अब वक्त खराब है और इनके खुद के देश ने इन्हें छोड़ दिया है तो हम तो इन्हें किसी भी सूरत में नहीं छोड़ सकते.

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