जानिए नागपंचमी पर्व का महत्व और पूजा का तरीका
नई दिल्ली। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमीं यानी कि नागपंचमी का व्रत 27 जुलाई को होगा। सावन महीने के इस पावन पर्व की काफी मान्यताएं हैं।
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आईये जानते हैं इस त्योहार के बारे में खास बातें..
शुक्ल पक्ष के पंचमी को… हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा का विधान है। परंपरा है कि इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाये। भारत के कई इलाकों में इस दिन कुश्ती का आयोजन होता है। तो कहीं-कहीं इस दिन जानवरों का नदी स्नान किया जाता है।
भगवान शंकर के गले का आभूषण नाग देवता, भगवान शंकर के गले का आभूषण है इसी कारण इसकी पूजा का महत्व है। वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है।
शेषनाग की शय्या महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। भगवान विष्णु भी शेषनाग की शय्या पर लेटे हैं इसलिए भी इनकी पूजा होती है।
कृषि संपदा के रक्षक नाग हमारी कृषि संपदा की कृषिनाशक जीवों से रक्षा करते हैं इसलिए इनकी पूजा होती है।
कैसे करें पूजा? ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप सुबह-शाम करना चाहिए। वैसे 27 जुलाई 2017 को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट तक भद्रा लगी हुई है, इसलिए इस दौरान पूजा ना करें। पंचमी तिथि प्रात: 7 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 28 जुलाई को सुबह : 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।